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हिंदी पत्रकारिता

हिन्दी पत्रकारिता की कहानी भारतीय राष्ट्रीयता की कहानी है। हिन्दी पत्रकारिता के आदि उन्नायक जातीय चेतना, युगबोध और अपने महत् दायित्व के प्रति पूर्ण सचेत थे। कदाचित् इसलिए विदेशी सरकार की दमन-नीति का उन्हें शिकार होना पड़ा था, उसके नृशंस व्यवहार की यातना झेलनी पड़ी थी। उन्नीसवीं शताब्दी में हिन्दी गद्य-निर्माण की चेष्टा और हिन्दी-प्रचार आन्दोलन अत्यन्त प्रतिकूल परिस्थितियों में भयंकर कठिनाइयों का सामना करते हुए भी कितना तेज और पुष्ट था इसका साक्ष्य ‘भारतमित्र’ (सन् 1878 ई, में) ‘सार सुधानिधि’ (सन् 1879 ई.) और ‘उचित वक्ता’ (सन् 1880 ई.) के जीर्ण पृष्ठों पर मुखर है।

दलित लेखन धारा की आत्मकथाएं

दलित लेखन धारा की आत्मकथा HINDI SAHITYA अपने-अपने पिंजरे (भाग-1-1995 ई०); भाग-2-2000 ई०) -मोहन नैमिशरायजूठन 1997 ई०)-ओम प्रकाश वाल्मीकिमेरा बचपन मेरे कंधो पर (2009 ई०)-श्योराज सिंह बेचैनमुर्दहिया (2010 ई०)-डॉ तुलसीदासशिकंजे का दर्द

महिला लेखन धारा की आत्मकथाएं

महिला लेखन धारा की आत्मकथा HINDI SAHITYA दस्तक जिन्दगी की (1990 ई०);मोड़ जिन्दगी का (1996 ई०)प्रतिभा अग्रवालजो कहा नहीं गया (1996 ई०)कुसुम अंसललगता नहीं है दिल मेरा (1997 ई०)कृष्णा अग्निहोत्रीबूंद बावड़ी (1999 ई०)पद्मा सचदेवकुछ कही कुछ