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पाश्चात्य काव्यशास्त्री

अभिव्यंजनावाद पर वस्तुनिष्ठ प्रश्न

अभिव्यञ्जनावाद एक आधुनिकतावादी आन्दोलन था जो 20वीं शताब्दी के आरम्भ में जर्मनी से आरम्भ हुआ था। पहले यह काव्य (पोएट्री) और चित्रकला के क्षेत्र में आया था। अभिव्यंजनावाद के प्रवर्तक बेनेदेत्तो क्रोचे (Benedetto Croce) मूलतः आत्मवादी

प्लेटो पाश्चात्य काव्यशास्त्री

व्यवस्थित शास्त्र के रूप में पाश्चात्य साहित्यालोचन की पहली झलक प्लेटो (427-347 ई० पू०) के 'इओन' नामक संवाद में मिलती है। प्लेटो पाश्चात्य काव्यशास्त्री प्लेटो का संक्षिप्त जीवनवृत्त निम्नांकित है- जन्म-मृत्युजन्म

अरस्तू पाश्चात्य काव्यशास्त्री

अरस्तू पाश्चात्य काव्यशास्त्री प्लेटो के शिष्य अरस्तू ने कलाओं को अनुकरणात्मक मानते हुए भी उनके महत्त्व को स्वीकार किया। यह प्लेटो के विचारों से भिन्न दृष्टि थी। प्लेटो के विचार जहाँ नैतिक और सामाजिक हैं, वहीं अरस्तू की

विलियम वर्डसवर्थ पाश्चात्य काव्यशास्त्री

विलियम वर्डसवर्थ का संक्षिप्त जीवन वृत्त निम्नलिखित है- जन्म-मृत्युजन्म-स्थानउपाधिमित्रअन्तिम संग्रह1770-1850इंग्लैण्डपोयटलारिएटकोलरिजद प्रिल्यूड वर्डसवर्थ का प्रथम काव्य संग्रह 'एन इवनिंग वॉक एण्ड डिस्क्रिप्टव स्केचैज' सन् 1793

जॉन ड्राइडन पाश्चात्य काव्यशास्त्री

जॉन ड्राइडन पाश्चात्य काव्यशास्त्री जॉन ड्राइडन कवि एवं नाटककार थे। इनकी प्रमुख कृति 'ऑफ ड्रमेटी पोइजी' (नाट्य-काव्य, 1668 ई०) है।जॉन ड्राइडन को आधुनिक अंग्रेजी गद्य और आलोचना दोनों का जनक माना जाता है।ड्राइडन ने 'ऑफ ड्रेमेटिक पोइजी' की

लोंजाइनस पाश्चात्य काव्यशास्त्री

लोंजाइनस (मूल यूनानी नाम लोंगिनुस ('Longinus') का समय ईसा की प्रथम या तृतीय शताब्दी माना जाता है।लोंजाइनस के ग्रन्थ का नाम 'पेरिहुप्सुस' है। इस ग्रन्थ का प्रथम बार प्रकाशन सन् 1554 ई० में इतालवी विद्वान रोबेरतेल्लो ने करवाया