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देवनागरी लिपि

भाषा विज्ञान, हिंदी भाषा एवं देवनागरी लिपि पर वस्तुनिष्ठ प्रश्न

भाषा विज्ञान, हिंदी भाषा एवं देवनागरी लिपि प्रश्न 1 "मनुष्य और मनुष्य के बीच वस्तुओं के विषय में अपनी इच्छा और मति के आदान प्रदान करने के लिए व्यक्त ध्वनि संकेतों का जो व्यवहार होता है उसे भाषा कहते हैं।" उक्त परिभाषा किस विद्वान की

देवनागरी लिपि

प्राचीन नागरी लिपि का प्रचार उत्तर भारत में नवीं सदी के अंतिम चरण से मिलता है, यह मूलत: उत्तरी लिपि है, पर दक्षिण भारत में भी कुछ स्थानों पर आठवीं सदी से यह मिलती है। दक्षिण में इसका नाम नागरी न होकर नंद नागरी है। आधुनिक काल की

देवनागरी लिपि का नामकरण

देवनागरी का नामकरण विवादास्पद है। नागरी लिपि के आठवीं, नौवीं शताब्दी के रूप को ‘प्राचीन नागरी’ नाम दिया गया है। दक्षिण भारत के विजय नगर के राजाओं के दान-पात्रों पर लिखी हुई नागरी लिपि का नाम ‘नंदिनागरी’ दिया गया है।

देवनागरी लिपि की विशेषताएँ

देवनागरी लिपि की विशेषताएँ देवनागरी लिपि की निम्रांकित विशेषताएँ हैं- (1) आ (ा), ई (ी), ओ (ो) और औ (ौ) की मात्राएँ व्यंजन के बाद जोड़ी जाती हैं (जैसे- का, की, को, कौ); इ (ि) की मात्रा व्यंजन के पहले, ए (े) और ऐ (ै) की मात्राएँ

देवनागरी लिपि का गुण व दोष

देवनागरी लिपि का गुण व दोष देवनागरी लिपि बायीं ओर से दायीं ओर लिखी जाती है। जबकि फारसी लिपि (उर्दू, अरबी, फारसी भाषा की लिपि) दायीं ओर से बायीं ओर लिखी जाती है। यह अक्षरात्मक लिपि (Syllabic script) है जबकि रोमन लिपि (अंग्रेजी भाषा की

देवनागरी लिपि का विकास

देवनागरी लिपि का विकास : भारत की सभी लिपियाँ ब्राह्मी लिपि से ही निकली हैं। ब्राह्मी लिपि का प्रयोग वैदिक आर्यो ने शुरू किया। गुप्तकाल के आरंभ में ब्राह्मी के दो भेद हो गए उत्तरी ब्राह्मी व दक्षिणी ब्राह्मी। नागरी लिपि का

देवनागरी लिपि पर वस्तुनिष्ठ प्रश्न

देवनागरी लिपि पर वस्तुनिष्ठ प्रश्न हिन्दी वस्तुनिष्ठ प्रश्न 1:भारतीय संविधान में किन अनुच्छेदों में राजभाषा सम्बन्धी प्रावधानों का उल्लेख है?1 343-351तक ✅2 434-315 तक3 443-135 तक4 334- 153 तक। 2 हिंदी खड़ी बोली किस अपभ्रंश से