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हिंदी साहित्य का आधुनिक काल

हिंदी साहित्य का आधुनिक काल तत्कालीन राजनैतिक गतिविधियों से प्रभावित हुआ है। इसको हिंदी साहित्य का सर्वश्रेष्ठ युग माना जा सकता है, जिसमें पद्य के साथ-साथ गद्य, समालोचना, कहानी, नाटक व पत्रकारिता का भी विकास हुआ।

वि.सं 1800 के उपरांत भारत में अनेक यूरोपीय जातियां व्यापार के लिए आईं। उनके संपर्क से यहां पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव पड़ना प्रारंभ हुआ। विदेशियों ने यहां के देशी राजाओं की पारस्परिक फूट से लाभ उठाकर अपने पैर जमाने में सफलता प्राप्त की। जिसके परिणाम-स्वरूप यहां पर ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना हुई। अंग्रेजों ने यहां अपने शासन कार्य को सुचारु रूप से चलाने एवं अपने धर्म-प्रचार के लिए जन-साधारण की भाषा को अपनाया। इस कार्य के लिए गद्य ही अधिक उपयुक्त होती है। इस कारण आधुनिक युग की मुख्य विशेषता गद्य की प्रधानता रही। इस काल में होने वाले मुद्रण कला के आविष्कार ने भाषा-विकास में महान योगदान दिया। स्वामी दयानन्द सरस्वती ने भी आर्य समाज के ग्रंथों की रचना राष्ट्रभाषा हिंदी में की और अंग्रेज़ मिशनरियों ने भी अपनी प्रचार पुस्तकें हिंदी गद्य में ही छपवाईं। इस तरह विभिन्न मतों के प्रचार कार्य से भी हिंदी गद्य का समुचित विकास हुआ।

हिन्दी पद्य साहित्य के आधुनिक काल

हिन्दी पद्य साहित्य के आधुनिक काल हिन्दी पद्य साहित्य के आधुनिक काल हिन्दी पद्य साहित्य के आधुनिक कालनवजागरण काल (भारतेन्दु युग)सुधार काल (द्विवेदी युग)छायावादी युगप्रगतिवादप्रयोगवादनई कविता और समकालीन कवितावैयक्तिक धारा -प्रगतिशील

आधुनिक हिन्दी साहित्य में पद्य का विकास

आधुनिक हिन्दी साहित्य में पद्य का विकास आधुनिक काल की कविता के विकास को निम्नलिखित धाराओं में बांट सकते हैं। १. नवजागरण काल (भारतेंदु युग) 1850 ईस्वी से 1900 ईस्वी तक२. सुधार काल (द्विवेदी युग) 1900 ईस्वी से 1920 ईस्वी तक३. छायावाद

भारतेंदु युग प्रसिद्ध पंक्तियाँ

भारतेंदु युग प्रसिद्ध पंक्तियाँ Bhartendu Harishchandra रोवहु सब मिलि, आवहु 'भारत भाई' ।हा! हा! भारत-दुर्दशा न देखी जाई।। -भारतेन्दु कठिन सिपाही द्रोह अनल जा जल बल नासी।जिन भय सिर न हिलाय सकत कहुँ भारतवासी।। -भारतेन्दु यह जीय