राधाकृष्ण दास का साहित्यिक परिचय

राधाकृष्ण दास (1865- 2 अप्रैल 1907) हिन्दी के प्रमुख सेवक तथा साहित्यकार थे। वे भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के फुफेरे भाई थे। शारीरिक कारणों से औपचारिक शिक्षा कम होते हुए भी स्वाध्याय से इन्होने हिन्दी, बंगला, गुजराती, उर्दू, आदि का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था। वे प्रसिद्ध सरस्वती पत्रिका के सम्पादक मंडल में रहे। वे नागरी प्रचारिणी सभा के प्रथम अध्यक्ष भी थे।

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इनके पिता का नाम कल्याणदास तथा माता का नाम गंगाबीबी था, जो भारतेंदु हरिश्चंद्र की बूआ थीं।

स्वास्थ्य ठीक न रहने से रोगाक्रान्त होकर यह बहत्तर वर्ष की अवस्था में १ अप्रैल, सन् १९०७ ई. को गोलोक सिधारे।

कृतियाँ

नागरीदास का जीवन चरित , हिंदी भाषा के पत्रों का सामयिक इतिहास, राजस्थान केसरी वा महाराणा प्रताप सिंह नाटक, भारतेन्दु जी की जीवनी, रहिमन विलास आदि हैं। ‘दुःखिनी बाला ‘, ‘पद्मावती ‘ तथा ‘महाराणा प्रताप ‘ नामक उनके नाटक बहुत प्रसिद्ध हुए। 1889 में लिखित उपन्यास ‘निस्सहाय हिन्दू ‘ में हिन्दुओं की निस्सहायता और मुसलमानों की धार्मिक कट्टरता का चित्रण है। भारतेन्दु विरचित अपूर्ण हिन्दी नाटक ‘सती प्रताप ‘ को इन्होने इस योग्यता से पूर्ण किया है .

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