केदारनाथ अग्रवाल (1 अप्रैल 1911 – 22 जून 2000 ) प्रमुख हिन्दी कवि थे। 1 अप्रैल 1911 को उत्तर प्रदेश के बांदा जनपद के कमासिन गाँव में हनुमान प्रसाद गुप्ता व घसीटो देवी के घर हुआ था।

प्रमुख कवि : कालक्रमानुसार केदारनाथ अग्रवाल का संक्षिप्त जीवनवृत्त निम्नांकित है
- माता-पिता- हनुमानप्रसाद घिमट्टी पार्वती
- प्रथम संग्रह-युग की गंगा
केदारनाथ अग्रवाल अपनी काव्य-यात्रा के आरम्भिक दौर में ‘वालेन्दु’ रचनाएँ करते थे। तब वे ब्रजभाषा में कवित्त, सवैया छंद में लिखते थे।
केदारनाथ अग्रवाल ने देश-विदेश के तमाम कवियों की कविताओं का अनुवाद ‘देश-विदेश की कविताएँ’ शीर्षक से किया।
केदारनाथ अग्रवाल की रचनाओं की कालक्रमानुसार सूची निम्न है
- युग की गंगा (1947)
- नींद के बादल (1947)
- लोक और आलोक (1957)
- कहें केदार खरी-खरी (1983)
- अपूर्वा (1984)
- फूल नहीं रंग बोलते हैं (1965)
- बोले बोल अबोल (1985)
- जमुन जल तुम (1984)
- आग का आईना (1970)
- गुलमेंहदी (1978)
- जो शिलाएँ तोड़ते हैं (1985)
- आत्मगंध (1988)
- अनहारी हरियाली (1990)
- पंख और पतवार (1979)
- बंबई का रक्त स्नान (1981)
- खुली आँखें खुले डैने (1993)
- हे मेरी तुम ((1981))
- पुष्पदीप (1994)
- मार प्यार की थापें (1981)
- बसंत में हुई प्रसन्न पृथ्वी (1996)
पुरस्कार
उनका कविता-संग्रह ‘फूल नहीं, रंग बोलते हैं’ सोवियतलैंड नेहरू पुरस्कार से सम्मानित हो चुका है। कविता संग्रह ‘अपूर्वा’ के लिये 1986 का साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। इसके अलावा वे हिंदी संस्थान पुरस्कार, तुलसी पुरस्कार, मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार आदि पुरस्कारों से सम्मानित हुए।