पाश्चात्य काव्यशास्त्री और उनकी रचनायें

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पाश्चात्य काव्यशास्त्री और उनकी रचनायें प्लेटो गणतन्त्र अरस्तु पोयटिक्स , पेरिपोइटिकेस लोंजाइन्स पेरिइप्सुस क्रोचे एस्थेटिक वड्सवर्थ लिरिकल बेलेडस, ऐन इवनिंग वॉक ऐंड डिस्क्रिप्ट स्केचेज,  द प्रिल्यूड सिमोन द बुआ द सेकंड सेक्स कॉलरिज– पोयम्स,द फ्रेंड,एड्स टू रिफ्लेक्शन,चर्च एंड स्टेट,कंफेशन् ऑफ़ एन इंक्वायरिंग स्पिरिट इलियट द वेस्टलैंड,ऐसेज एशेंट एंड मॉडर्न,द सेक्रेट वुड रिचर्ड्स बिर्योड,प्रिंसिपल ऑफ़ लिटरेरी … Read more

अनुकरण सिद्धांत विरेचन सिद्धांत अभिव्यंजनावाद

अनुकरण सिद्धांत विरेचन सिद्धांत अभिव्यंजनावाद

1. कला और साहित्य के संदर्भ में प्लेटो की मान्यताओं पर विचार कीजिए-
1. वह आनंददायक हो
2. वह सौन्दर्ययुक्त हो
3. वह उपयोगी हो
4. वह सत्य, न्याय, और सदाचार की भावना को प्रतिष्ठित करने में सहायक हो
सही कथन है/हैं-
A. सभी 1, 2, 3, 4
B. केवल 1, 3, 4
C. केवल  2, 3, 4
D. केवल 3, 4✅
E. केवल 3

2. अनुकृति (अनुकरण) के संदर्भ में प्लेटो की मान्यताओं पर विचार कीजिए-
1. अनुकरण कभी पूर्ण रूप में होना संभव नहीं है
2. अनुकृति मिथ्या और भ्रामक है
3. अनुकृति सत्य से दो गुना दूर रहता है
4. काव्य वास्तविक जगत की वास्तविक अनुकृति है
सही कथन है/हैं-
A. सभी 1, 2, 3, 4
B. केवल 1, 2, 3✅
C. केवल  2, 3,4
D. केवल 1, 2

3. कवि और कविता के संदर्भ में प्लेटो की मान्यताओं पर विचार कीजिए-
1. कवि मौलिक और ज्ञानी होता है
2. कविता अनुकृति है और किसी भी दृष्टि से उपयोगी नहीं है
3. कवि समाज में प्रबलता और सदाचार का पोषण करता है
4. कवि को मनोरंजन प्रधान कविताएँ नहीं लिखनी चाहिए
5. कवि प्रशंसनीय है
सही कथन है/हैं-
A. केवल 1, 2, 4
B. केवल 2, 3, 4, 5
C. केवल  1, 3, 4
D. केवल 2, 4, 5
E. केवल 2, 4✅

4. सहज-अनुभूति सिद्धांत के प्रवर्तक हैं-
1. अरस्तू
2. सुकरात
3. प्लेटो
4. इनमें से कोई नहीं✅(क्रोचे)

5. प्लेटो के अनुकरण की व्याख्या करते हुए किस समीक्षक ने कहा है कि “अनुकरण वह प्रक्रिया है जो वस्तुओं को उनके यथार्थ रूप में नहीं अपितु आदर्श रूप में प्रस्तुत करती हो”
1. सिडनी✅
2. अवरक्राम्बी
3. डाॅ. नगेन्द्र
4. प्रो. ब्रूचर

6. असंगत है-
1. ईश्वर ही सत्य है तथा उसकी अनुकृति संसार है- प्लेटो
2. अनुकरण का अर्थ सर्जना का अभाव नहीं अपितु पुनर्सर्जना है- प्रो. मरे
3. कला प्रकृति की अनुकृति है- अरस्तू
4. अनुकरण मनुष्य की मूल प्रवृत्ति है- प्लेटो✅(अरस्तू)

7. अरस्तु के अधोलिखित अनुकरण सिद्धांतों पर विचार कीजिए-
1. कविता जगत की अनुकृति है
2. अनुकरण की प्रक्रिया आनन्ददायक है
3. बालक बड़ों का अनुकरणकर सीखता है
4. अनुकरण के द्वारा भयमूलक या त्रासमूलक वस्तुओं से कभी भी आनंद प्राप्त नहीं किया जा सकता
5. काव्यकला सर्वोच्च अनुकरण कला है
असत्य कथन है/हैं-
A. केवल 2, 4
B. केवल 1, 5
C. केवल 4✅
D. केवल 1, 4
E. केवल 3, 5

8. “कला मूल रूप में कलाकार के मन में घटित होती है और वह सहजानुभूति है”। यह सिद्धांत किसका है-
1. अरस्तू
2. सुकरात
3. क्रोचे✅
4. प्लेटो

9. “साहित्य हमारी दूषित मनोवृत्तियों का विरेचन कर देता है” किसका कथन है-
1. अरस्तू✅
2. सुकरात
3. क्रोचे
4. इनमें से कोई नहीं

10. यद्यपि दुखान्त नाटकों में करूणा और भय के मनोविकारों का प्रदर्शन किया जाता है, फिर भी दर्शक इन्हें देखना पसंद करते हैं क्योंकि-
1. दुखान्त नाटकों में कृत्रिम रूप से करूणा और भय की भावनाओं को निकास का अवसर मिल जाता है
2. करूणा और भय के प्रदर्शन से भावनाओं का उदात्तीकरण हो जाता है
3. मनोविकारों के शमन से दर्शकों को एक विशेष प्रकार का निर्दोष आनंद मिलता है
4. उपरोक्त सभी✅

11. ट्रेजडी का कर्तव्य कर्म केवल करूणा या त्रास के लिए अभिव्यक्ति का माध्यम प्रस्तुत करना नहीं, इनसे एक सुनिश्चित कलात्मक परितोष प्राप्त करना है, इनको कला के माध्यम में ढालकर परिष्कृत तथा स्पष्ट करना है” यह कथन किसका है-
1. सिडनी
2. अवरक्राम्बी
3. डाॅ. नगेन्द्र
4. प्रो. ब्रूचर✅

12. कलापरक अर्थ में विरेचन के कितने पक्ष हैं-
1. 2✅
2. 3
3. 4
4. 5

13. क्रोचे ने “सौन्दर्यवाद” की व्याख्या करते हुए उसके कितने स्तरों की परिकल्पना की है-
1. 3
2. 4✅
3. 5
4. 6

14. किसी भी कलाकृति को देखकर मन पर पड़ने वाले सहज प्रभाव और उससे उठने वाली विभिन्न संवेदनाएँ हैं-
1. अन्तः संस्कार✅
2. अभिव्यंजना
3. आनुषंगिक आनंद
4. अभिव्यक्ति

15. स्वयं प्रकाश ज्ञान है-
1. अन्तः संस्कार
2. अभिव्यंजना✅
3. आनुषंगिक आनंद
4. अभिव्यक्ति


16. अभिव्यक्ति से तात्पर्य है-
1. केवल शाब्दिक व्यंजना
2. केवल अशाब्दिक व्यंजना
3. शाब्दिक और अशाब्दिक दोनों व्यंजनाएँ✅
4. इनमें से कोई नहीं

17. क्रोचे ने नैतिक बन्धनों से मुक्त किसे माना है-
1. अमूर्त कला को✅
2. मूर्त कलाकृति को
3. अमूर्त तथा मूर्त दोनों कलाकृति को
4. किसी को नहीं

18. क्रोचे के अनुसार- “सौन्दर्य”
1. वस्तु में है
2. देखने वाले की दृष्टि में है✅
3. दोनों में हे
4. किसी में नहीं

19. “साधारणीकरण कवि की अनुभूति का होता है”। किनका मत है-
1. डाॅ. नगेन्द्र✅
2. हजारीप्रसाद द्विवेदी
3. रामचंद्र शुक्ल
4. विश्वनाथ
 
20. “अभिव्यंजनावाद” को “भारतीय वक्रोक्ति सिद्धांत का विलायती उत्थान” किसने कहा है-
1. डाॅ. नगेन्द्र
2. डाॅ. एस. एस. गुप्त
3. रामचंद्र शुक्ल✅
4. एफ. एल. लूकस

पाश्चात्य काव्यशास्त्र के वाद

हिन्दी काव्यशास्त्र

पाश्चात्य काव्यशास्त्र के वाद अरस्तू का विरेचन सिद्धांत  अरस्तू के द्वारा प्रयुक्त शब्द कैथार्सिस का अर्थ है सफाई करना या अशुद्धियों को दूर करना, अतः कैथार्सिस का व्युत्पत्तिपरक अर्थ हुआ शुद्धिकरण। अरस्तू ने ‘विरेचन’ शब्द का ग्रहण चिकित्साशास्त्र से किया था, इस मत का प्रचार सं १८५७ में जर्मन विद्वान बार्नेज के एक निबंध से … Read more

टी एस एलियट पाश्चात्य काव्यशास्त्री

हिन्दी काव्यशास्त्र

टी एस एलियट की काव्य कृतियां: द वेस्टलैंड आपको वास्तविक ख्याति ‘द वेस्टलैंड’ (१९२२) द्वारा प्राप्त हुई। मुक्त छंद में लिखे तथा विभिन्न साहित्यिक संदर्भो एवं उद्धरणों से पूर्ण इस काव्य में समाज की तत्कालीन परिस्थिति का अत्यंत नैराश्यपूर्ण चित्र खींचा गया है। इसमें कवि ने जान बूझकर अनाकर्षक एवं कुरूप उपमानों का प्रयोग किया … Read more

अभिव्यंजनावाद पर वस्तुनिष्ठ प्रश्न

हिन्दी वस्तुनिष्ठ प्रश्न

अभिव्यञ्जनावाद एक आधुनिकतावादी आन्दोलन था जो २०वीं शताब्दी के आरम्भ में जर्मनी से आरम्भ हुआ था। पहले यह काव्य (पोएट्री) और चित्रकला के क्षेत्र में आया था। अभिव्यंजनावाद के प्रवर्तक बेनेदेत्तो क्रोचे (Benedetto Croce) मूलतः आत्मवादी दार्शनिक हैं। उनका उद्देश्य साहित्य में आत्मा की अन्तः सत्ता स्थापित करना था।। क्रोचे के अनुसार “अंतःप्रज्ञा के क्षणों में आत्मा की … Read more

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