भारतेंदु युग के काव्य प्रवृत्तियाँ

भारतेंदु युग के काव्य प्रवृत्तियाँ भारतेंदु युग ने हिंदी कविता को रीतिकाल के शृंगारपूर्ण और राज-आश्रय के वातावरण से निकाल कर राष्ट्रप्रेम, समाज-सुधार आदि की स्वस्थ भावनाओं से ओत-प्रेत कर उसे सामान्य जन से जोड़ दिया। इस युग की काव्य प्रवृत्तियाँ निम्नानुसार हैं:- देशप्रेम की व्यंजना  अंग्रेजों के दमन चक्र के आतंक में इस युग … Read more

भारतेंदु युग के नाटककार के नाटक

हिन्दी नाटक

भारतेंदु युग के प्रमुख नाटककार एवं उनके नाटक यहाँ प्रस्तुत किये जा रहे हैं – भारतेंदु युग के नाटककार के नाटक प्राणचंद चौहान – रामायण महानाटक महाराज विश्वनाथ सिंह – आनंद रघुनंदन गोपालचंद्र गिरिधर दास- नहुष भारतेंदु हरिश्चंद्र – विद्यासुंदर, रत्नावली, पाखण्ड विडंबन, धनंजय विजय, कर्पूर मंजरी, भारत-जननी, मुद्राराक्षस, दुर्लभ बंधु (उपर्युक्त सभी अनूदित); वैदिकी … Read more

हिंदी साहित्य का भारतेन्दु युग

bhartendu harishchandra

हिन्दी नवजागरण के अग्रदूत भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के नाम पर हिंदी साहित्य का भारतेन्दु युग का नामकरण किया गया है। हिंदी साहित्य का भारतेन्दु युग (पुनर्जागरण काल) 1857-1900 ई. भारतेन्दु युग की प्रवृत्तियाँ  (1) नवजागरण भारतेन्दु युगीन नवजागरण में एक ओर राजभक्ति (ब्रिटिश शासन की प्रशंसा) है तो दूसरी ओर देशभक्ति (ब्रिटिश शोषण का विरोध) । … Read more

भारतेंदु युग प्रसिद्ध पंक्तियाँ

bhartendu harishchandra

भारतेंदु युग प्रसिद्ध पंक्तियाँ रोवहु सब मिलि, आवहु ‘भारत भाई’ ।हा! हा! भारत-दुर्दशा न देखी जाई।। -भारतेन्दु कठिन सिपाही द्रोह अनल जा जल बल नासी।जिन भय सिर न हिलाय सकत कहुँ भारतवासी।। -भारतेन्दु यह जीय धरकत यह न होई कहूं कोउ सुनि लेई। कछु दोष दै मारहिं और रोवन न दइहिं।। -प्रताप नारायण मिश्र अमिय … Read more

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का साहित्यिक परिचय

bhartendu harishchandra

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का साहित्यिक परिचय: आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह भारतेन्दु हरिश्चन्द्र हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। इनका मूल नाम ‘हरिश्चन्द्र’ था, ‘भारतेन्दु’ उनकी उपाधि थी। रीतिकाल की विकृत सामन्ती संस्कृति की पोषक वृत्तियों को छोड़कर स्वस्थ परम्परा के बीज बोए। हिन्दी साहित्य में आधुनिक काल का प्रारम्भ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र से माना जाता है। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी का हिंदी … Read more

You cannot copy content of this page