दोहावली : इसमें नीति, भक्ति, राम-महिमा तथा नाम-माहात्म्य विषयक 573 दोहे हैं ।
कवितावली : इस रचना में कवित्त, सवैया,छप्पय आदि छंदों में रामायण की कथा सात कांडों में कही गई है, पर यह सर्वत्र क्रमबद्ध नहीं है, अत: संग्रह- रामकथा ठहरती है ।
गीतावली : गीतावली में रामकथा को गीतिशैली में कहा गया है । इसमें सात कांड तथा 328 सुंदर गान किया गया है ।
कृष्ण गीतावली: कृष्ण की बाल्य-अवस्था एवं गोपी-उद्धव संवाद के प्रसंग
विनय पत्रिका : तुलसी के साहित्य में रामचरितमानस के उपरान्तवित्व की दृष्टि से उत्तम बन पड़े हैं । विनय-पत्रिका का स्थान है । यह पत्रिका रूप में प्रस्तुत की गई है । इसमें राम के सम्मुख हनुमान के मुख से विनय के पद हैं । कवि के भक्ति, ज्ञान, वैराग्य तथा संसार की साअरता आदि सेसंबं धित उद्गार अत्यन्त मार्मिक हैं । यह रचना ब्रज भाषा में है । इसमें कवि का पांडित्य, वाक्-चातुर्य तथा उक्ति-वैचित्र्य सभी कुछ देखने को मिलता है ।
रामलला नहछू : यह राम जनेऊ (यज्ञोपवीत ) के अवसर को ध्यान में रखकर लिखा गया है । इसमें कुल 20 छंद हैं ।
वैराग्य-संदीपनी : इसमें संत महिमा का वर्णन है । यह कवि की प्रारम्भिक रचना प्रतीत होती है, जिसमें उनका झुकाव संत मत की ओर था । 62 छंदों में राम-महीमा, ज्ञान-वैराग्य तथा संत स्वभाव आदि की चर्चा है ।
बरवै रामायण : इसमें 69 बरवै छंदों में रामकथा का वर्णन है ।
पार्वती मंगल : इसमें 164 छंदों में शिव पार्वती के विवाह का वर्णन है ।
जानकी-मंगल : इसमें 216 छंदों में राम का विवाह वर्णन है ।
हनुमान-बाहुक : हनुमान बाहुक में हनुमान की स्तुति से संबंधित पद्यों का संग्रह है । इसकी रचना कवि ने अपनी पीड़ाग्रस्त बाहु की स्वस्थता की कामना से की है ।
रामाज्ञा प्रश्न : इसमें सात सर्ग हैं । प्रत्येक सर्ग में सात-सात दोहों के सात सप्तक हैं । कुल मिलाकर इसमें 343 दोहे हैं । इसमें राम-कथा के बहाने शुभ-अशुभ शकुनों का विचार किया गया है ।
रामचरितमानस : यह रामकथा सात खंड में विभाजित है । यह भक्तिकाल का सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ और महाकाव्य है ।