भाषा संप्रेषण: कोडीकरण और विकोडीकरण

‘भाषा संप्रेषण एक व्यापक शब्द है। संप्रेषण के अनेक रूप हो सकते हैं। कुछ लोग इशारों से अपनी बात एक-दूसरे तक पहुँचा देते हैं, पर इशारे भाषा नहीं हैं। भाषा भी संप्रेषण का एक रूप है।

भाषा के संप्रेषण में दो लोगों का होना जरूरी होता है-

एक अपनी बात को व्यक्त करने वाला, दूसरा उसकी बात को ग्रहण करने वाला।

‘संदेश’ किसे कहते हैं ?

जो भी बात इन दोनों के बीच में संप्रेषित की जाती है, उसे ‘संदेश’ कहते हैं। भाषा में यही कार्य वक्ता और श्रोता द्वारा किया जाता है।

कोड क्या होता है ?

संदेश को व्यक्त करने के लिए वक्ता किसी-न-किसी ‘कोड’ का सहारा लेता है। कोई इशारों से तो कोई ताली बजाकर अपनी बात कहता है। इस तरह इशारे करना या ताली बजाना एक प्रकार के ‘कोड’ हैं। वक्ता और श्रोता के बीच भाषा भी ‘कोड’ का कार्य करती है।

‘कोड’ कितने तरह के होते हैं ?

भाषा में यह ‘कोड’ दो तरह के हो सकते हैं- यदि वक्ता बोलकर अपनी बात संप्रेषित करना चाहता है तो वह उच्चरित या मौखिक भाषा (कोड) का सहारा लेना होता है और यदि लिखकर अपनी बात संप्रेषित करना चाहता है तो उसे लिखित भाषा का सहारा लेना होता है। संप्रेषण के अंतर्गत वक्ता और श्रोता की भूमिकाएँ बदलती रहती हैं।

मानव संप्रेषण क्या होता है ?

भाषा का संबंध मानव मुख से उच्चरित ध्वनियों के साथ है या दूसरे शब्दों में कहें तो कह सकते हैं कि ‘भाषा’ मानव मुख से उच्चरित होती है।

मानवेतर संप्रेषण क्या होता है ?

संप्रेषण अथवा विचारों का आदान-प्रदान केवल मनुष्यों के बीच ही नहीं होता; मानवेतर प्राणियों के बीच भी होता है। कुत्ते, बंदर तरह-तरह की आवाजें निकालकर दूसरे कुत्ते और बंदरों तक अपनी बात संप्रेषित करते हैं।

भाषा का संबंध किससे है ?

भाषा का संबंध तो केवल मनुष्य मात्र से है। मधुमक्खियाँ तरह-तरह के नृत्य कर दूसरी मधुमक्खियों तक अपना संदेश संप्रेषित करती हैं। परन्तु मानवेतर संप्रेषण को ‘भाषा’ नहीं कहा जाता भले ही पशु-पक्षी तरह-तरह की ध्वनियाँ उच्चरित कर संप्रेषण करते हैं।

कोडीकरण और विकोडीकरण

जब पहला व्यक्ति अपनी बात संप्रेषित करता है तब वह वक्ता की भूमिका निभाता है और दूसरा श्रोता की तथा जब दूसरा (श्रोता) व्यक्ति अपनी बात कहता है तब वह वक्ता बन जाता है और पहला (वक्ता) श्रोता की भूमिका निभाता है।

कुल मिलाकर यह स्थिति बनती है कि वक्ता पहले किसी संदेश को कोड में बदलता है या कोडीकरण करता है तथा श्रोता उस संदेश को ग्रहण कर कोड से उसके अर्थ तक पहुँचता है या उस कोड का विकोडीकरण करता है।

वक्ता और श्रोता के बीच कोडीकरण तथा विकोडीकरण की प्रकिया बराबर चलती रहती है-

………. संदेश……….


वक्ता………………….. श्रोता
कोडीकरण …………. विकोडीकरण

यहाँ इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वक्ता और श्रोता के बीच जिस ‘कोड’ का इस्तेमाल किया जा रहा है उससे दोनों परिचित हों अन्यथा दोनों के बीच संप्रेषण नहीं हो सकता।

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