हिन्दी के जीवनीपरक उपन्यास

हिन्दी के जीवनीपरक उपन्यास

  • ‘भारती का सपूत’— डॉ. रांगेय राघव (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पर, हिन्दी में प्रथम जीवनीपरक उपन्यास, 1954, प्रथम संस्करण), 
  • ‘रत्ना की बात’ — डॉ. रांगेय राघव (तुलसी के जीवन पर, 1957, द्वितीय संस्करण) 
  • ‘लोई का ताना’— डॉ. रांगेय राघव (कबीर के जीवन पर, 1954)
  • ‘मानस का हंस’— अमृतलाल नागर (तुलसीदास के जीवन पर, 1972)
  • ‘लखिमा की आंखें — डॉ. रांगेय राघव (द्यापति के जीवन पर, 1974, द्वितीय संस्करण) ‘मेरी भव बाधा हरो’— डॉ. रांगेय राघव (बिहारी के जीवन पर, 1976, द्वितीय संस्करण)
  • ‘धुनी का धुंआं’— डॉ. रांगेय राघव (गोरखनाथ के जीवन पर, 1978, द्वितीय संस्करण)
  •  ‘यशोधरा जीत गई है’— डॉ. रांगेय राघव (गौतम बुद्ध के जीवन पर)
  • ‘देवकी का बेटा— डॉ. रांगेय राघव (श्री कृष्ण जी के जीवन पर)
  • ‘आवारा मसीहा’— विष्णु प्रभाकर (शरत् चन्द्र की जीवनी, 1974)
  • ‘खंजन नयन’— अमृतलाल नागर (सूरदास के जीवन पर, 1981)
  • ‘पहला गिरमिटिया’— गिरिराज किशोर (महात्मा गांधी के जीवन पर, 1999)
  • ‘सूत्रधार’— संजीव (भिखारी ठाकुर पर, 2003) 
  • ‘तोड़ो कारा तोड़ो’— (विवेकानंद के जीवन पर आधारित उपन्यास, निर्माण-1992, साधना-1993, परिव्राजक-2003, निर्देश-2004, सन्देश-2004, नरेंद्र कोहली)
  • ‘विवेकानंद’— राजेन्द्र मोहन भटनागर (जीवनीपरक उपन्यास)
  • ‘सनातन पुरुष’— डॉ. राजेंद्र मोहन भटनागर (महर्षि अरविंद पर)
  • ‘युगपुरुष अंबेडकर’— राजेन्द्र मोहन भटनागर
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