संप्रेषण के प्रकार: संप्रेषण को मुख्य रुप से दो भागों में बांटा जा सकता है :-
- मौखिक संचार
- अमौखिक संचार
मौखिक संप्रेषण:
जब दो या दो से अधिक लोगों के बीच शब्दों का प्रयोग बातचीत के लिये किया जाए, तब उसे मौखिक संप्रेषण कहते हैं। यह लिखित व मौखिक दोनों रूप में हो सकता है।
मौखिक संप्रेषण हमें लोगों के बीच तर्कपूर्ण बातचीत के साथ-साथ जानकारी तथा दिशा भी प्रदान करता है। लोग
सामान्यतः एक दिन के 10 से 11 घंटे मौखिक संप्रेषण में लगाते हैं, जिसमें पढ़ना, बोलना,लिखना तथा सुनना आता है।
मौखिक संप्रेषण के कुछ सामान्य रूप बातचीत, भाषण, पत्र, समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, फोन पर होने वाली बातचीत आदि हैं।
लिखित संप्रेषण में इमेल , सन्देश , पत्र, समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ , pdf , ब्लॉग आदि शामिल हैं।
अमौखिक संप्रेषण:
अमौखिक संप्रेषण या हाव-भाव, पूरे संप्रेषण का 70 प्रतिशत भाग होता है, जबकि शब्द केवल 10 प्रतिशत । इसलिए मानवीय
संप्रेषण के लिए अमौखिक संप्रेषण बहुत महत्वपूर्ण है। शारीरिक चेष्टांए, चेहरे के हाव भाव, शारीरिक मुद्राएँ, नेत्र सम्पर्क, आसन, शारीरिक उन्मुखता, दूरियाँ आदि कुछ अमौखिक संप्रेषण के रूप हैं।
अमौखिक संप्रेषण निम्नलिखित मदद करते हैं :-
· मौखिक संप्रेषण के तत्त्वों से हटकर प्रभाव बनाना;
· जो कहा गया उसे दृढ़तर करना;
· हमारी भावनाओं तथा अन्तरवैयक्तिक मनोवृत्ति को प्रकट करना;
· शक्ति, स्नेह, सम्मान, प्रभुता को प्रकट करने में सहायक;
· दूसरे के साथ होने वाली बातचीत को व्यवस्थित व नियंत्रित करना, और
· आत्म-प्रस्तुतिकरण में सहायक।
स्रोत : https://www.nios.ac.in/media/documents/secpsycour/Hindi/Chapter-14.pdf