Browsing Tag

काव्य के अंग

काव्य प्रयोजन

काव्य रचना का उद्देश्य ही काव्य प्रयोजन होता है. संस्कृत आचार्यों के अनुसार काव्य-प्रयोजन भरत मुनि – धर्म्यं यशस्यं आयुष्यं हितं बुद्धि विवर्धनम्।लोको उपदेश जननम् नाट्यमेतद् भविष्यति।। भरत मुनि धर्म, यश, आयु-साधक, हितकर,

काव्य हेतु

काव्य हेतु का तात्पर्य कवि-कर्म के कारण से है । काव्य हेतु की परिभाषा काव्य-हेतु अर्थात काव्य की रचना करने वाले कवि में ऐसी कौन सी विलक्षण शक्ति /कारण/तत्व है जिसके द्वारा वह साधारण मानव होते हुये भी असाधारण काव्य की सर्जना कर देता