भ्रमरगीतसार परिचय
भ्रमरगीतसार परिचय हिन्दी काव्यधारा में सगुण भक्ति परंपरा में कृष्णभक्ति शाखा में सूरदासजी सूर्य के समान दैदिप्तमान हैं। सूरदासजी की भक्ति और श्रीकृष्ण-कीर्तन की तन्मयता के बारे में उचित ही लिखा है – ‘आचार्यों की छाप लगी हुई आठ वीणाएं श्रीकृष्ण की प्रेमलीला का कीर्तन करने उठीं जिनमें सबसे उंची, सुरीली और मधुर झनकार अंधे … Read more