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हिंदी साहित्य में आलोचना

हिन्दी साहित्य के आलोचना (Criticism of hindi sahitya)

हिन्दी साहित्य के आलोचना भारतेंदु -नाटक शिवसिंह सेंगर -शिवसिंह सरोज पद्मसिंह शर्मा- बिहारी सतसई की भूमिका कृष्ण बिहारी मिश्र- देव और बिहारी बाबू गुलाबराय- सिद्धांत और अध्ययन, काव्य के रूप, नवरस श्यामसुंदर दास

हिंदी आलोचना का इतिहास

हिंदी आलोचना का इतिहास आलोचना की शुरुआत वास्तविक तौर से आधुनिक या भारतेंदु युग से माना जाता है| आलोचक निम्न आधारों पर आलोचना के विकास को बताते हैं- Table of Contentsआधुनिक काल के पूर्व की आलोचना:-आधुनिक युग की आलोचना:-भारतेंदु युग:-

हिंदी आलोचना

हिंदी आलोचना का तात्पर्य है, किसी वस्तु, रचना या कृति का मूल्यांकन करना| किसी भी रचना को समझने के लिए आलोचना को समझना आवश्यक है| आलोचक किसी भी रचना का मूल्यांकन एवं विश्लेषण करता है, साथ ही पाठक के समझ का भी विस्तार करता है क्योंकि

हिंदी आलोचना (Criticism)

हिंदी आलोचना (Criticism) HINDI SAHITYA अलंकार मंजूषा 1916 लाला भगवानदीनकाव्य कल्पद्रुम 1926 कन्हैया लाल पोद्दाररस कलश 1931 अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔधसाहित्य पारिजात 1940 शुकदेव बिहारी मिश्र (मिश्रबंधुओं —