कार्य ऊर्जा तथा मशीनें कक्षा 6 विज्ञान अध्याय 11
कार्य ऊर्जा तथा मशीनें
स्मरणीय बिन्दु
1. बल और बल की दिशा में तय की गई दूरी को कार्य कहते हैं।
2. कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं।
3. कार्य और ऊर्जा का SI मात्रक जूल है।
4. ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है। केवल उसका रूपान्तरण हो सकता है, इसे ऊर्जा संरक्षण का नियम कहते हैं।
5. किसी वस्तु में उसकी गति या स्थिति के कारण जो ऊर्जा होती है, उसे यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं।
6. मशीन वह साधन है, जो हमारे दैनिक जीवन के कार्यों को आसान बना देती है।
7. मशीने दो प्रकार की होती है-1. सरल मशीन, 2. जटिल मशीन।
8. उत्तोलक सीधी या टेड़ी छड़ होती है, जिसे किसी सुविधाजनक बिन्दु पर टिकाकर घुमाया जा सकता है। इस बिन्दु को आलंब कहते है।
9. उत्तोलक तीन प्रकार के होते हैं-1. प्रथम श्रेणी, 2. द्वितीय श्रेणी, 3. तृतीय श्रेणी
10. प्रथम श्रेणी के उत्तोलक में आलम्ब भार एवं आवास के मध्य में होता है।
उदाहरण- कैची, पेचिस
11. द्वितीय श्रेणी के उत्तोलक में भार, आयास और आलम्ब के मध्य में होता है। उदाहरण-ठेला, सरोता।
12. तृतीय श्रेणी के उत्तोलक में आयास, आलम्ब और भार के बीच में होता है। उदाहरण– चिमटा, बंसी।
13. किसी तख्ते को क्षैतिज तल से किसी न्यूनकोण पर झुकाकर रखते हैं, तो तख्ते का तल आनत तल कहलाता है।
उदाहरण-पहाड़ की घुमावदार सड़के।
14. फन्नी दो आनत समतलों का योग है।
15. पहिया और पुरी दो विभिन्न व्यास के बेलन है, जो एक उभयनिष्ठ अक्ष पर साथ-साथ भूमते हैं।