प्रयोगवादी कवियों की महत्वपूर्ण काव्य पंक्तियाँ

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प्रयोगवादी कवियों की महत्वपूर्ण काव्य पंक्तियाँ (क) अज्ञेय (1) वही परिचित दो आँखें ही चिर माध्यम हैं सब आँखों से सब दर्दों से मेरे लिए परिचय का। (2) यह दीप अकेला स्नेह भरा, है गर्व भरा मदमाता, पर इसको भी पंक्ति दे दो। (3) किन्तु हम हैं द्वीप । हम धारा नहीं हैं स्थिर समर्पण … Read more

हिंदी साहित्य का प्रयोगवाद

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‘प्रयोगवाद’  ‘तार सप्तक’ के माध्यम से वर्ष 1943 ई० में प्रकाशन जगत में आई और जो प्रगतिशील कविताओं के साथ विकसित होती गयी तथा जिनका पर्यावसान ‘नयी कविता’ में हो गया। कविताओं को सबसे पहले नंद दुलारे बाजपेयी ने ‘प्रयोगवादी कविता’ कहा। अज्ञेय, गिरिजा कुमार माथुर, मुक्तिबोध, नेमिचंद जैन, भारत भूषण अग्रवाल, रघुवीर सहाय, धर्मवीर … Read more

प्रयोगवाद की विशेषताएं

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प्रयोगवाद की विशेषताएं ‘प्रयोगवाद’ नाम उन कविताओं के लिए है जो कुछ नये बोधों, संवेदनाओं तथा उन्हें प्रेषित करनेवाले शिल्पगत चमत्कारों को लेकर शुरू-शुरू में ‘तार सप्तक’ के माध्यम से वर्ष 1943 ई० में प्रकाशन जगत में आई .बाद में प्रगतिशील कविताओं का पर्यावसान ‘नयी कविता’ में हो गया। सबसे पहले नंद दुलारे बाजपेयी ने … Read more

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