रीतिकालीन शिल्पगत विशेषताएँ
रीतिकालीन शिल्पगत विशेषताएँ :
(1) सतसई परम्परा का पुनरुद्धार(2) काव्य भाषा-वज्रभाषा(3) मुक्तक का प्रयोग(4) दोहा छंद की प्रधानता(5) दोहे के अलावा 'सवैया' (श्रृंगार रस के अनुकूल छंद) और 'कवित्त' (वीर रस के अनुकूल छंद) रीति कवियों के प्रिय!-->!-->!-->…