प्रेमाख्यानक काव्य

प्रेमाख्यानक काव्य’ का अर्थ है जायसी आदि निर्गुणोपासक प्रेममार्गी सूफी कवियों के द्वारा रचित प्रेम-कथा काव्य। प्रेमाख्यानक काव्य को प्रेमाख्यान काव्य, प्रेमकथानक काव्य, प्रेम काव्य, प्रेममार्गी (सूफी) काव्य आदि नामों से भी पुकारा जाता है। प्रेमाख्यानक काव्य की विशेषताएँ :(1) विषय वस्तु/कथावस्तु का प्रयोग(2) अवांतर/गौण प्रसंगों की भरमार व काव्येतर विषयों का समावेश(3) विभिन्न तरह … Read more

अष्टछाप के कवि

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अष्टछाप के कवि अष्टछाप कवियों के अंतर्गत पुष्टिमार्गीय आचार्य वल्लभ के काव्य कीर्तनकार चार प्रमुख शिष्य तथा उनके पुत्र विट्ठलनाथ के भी चार शिष्य थे। आठों ब्रजभूमि के निवासी थे और श्रीनाथजी के समक्ष गान रचकर गाया करते थे। उनके गीतों के संग्रह को “अष्टछाप” कहा जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ आठ मुद्रायें है। उन्होने … Read more

संत काव्य

ज्ञानाश्रयी शाखा/संत काव्य:- संत काव्य के प्रतिनिधि कवि कबीर है ‘संत काव्य’ का सामान्य अर्थ है संतों के द्वारा रचा गया काव्य। लेकिन जब हिन्दी में ‘संत काव्य’ कहा जाता है तो उसका अर्थ होता है निर्गुणोपासक ज्ञानमार्गी कवियों के द्वारा रचा गया काव्य। संत कवि : कबीर, नामदेव, रैदास, नानक, धर्मदास, रज्जब, मलूकदास, दादू, … Read more

राम भक्ति काव्य धारा

राम भक्ति काव्य धारा

रामाश्रयी शाखा/राम भक्ति काव्य:- राम भक्ति काव्य की विशेषताएँ : राम भक्ति काव्य धारा आगे चलकर रीति काल में मर्यादावाद की लीक छोड़कर रसिकोपासना की ओर बढ़ जाती है। ‘तुलसी का सारा काव्य समन्वय की विराट चेष्टा है।’ -हजारी प्रसाद द्विवेदी ‘भारतवर्ष का लोकनायक वही हो सकता है जो समन्वय करने का अपार धैर्य लेकर … Read more

हिंदी साहित्य का भक्तिकाल

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हिंदी साहित्य का भक्तिकाल के बारे में रामचन्द्र शुक्ल के मत, ‘देश में मुसलमानों का राज्य प्रतिष्ठित हो जाने पर हिन्दू जनता के हृदय में गौरव, गर्व और उत्साह के लिए वह अवकाश न रह गया। उसके सामने ही उनके देव मंदिर गिराए जाते थे, देव मूर्तियाँ तोड़ी जाती थीं और पूज्य पुरुषों का अपमान … Read more

विविध भक्ति सम्प्रदाय

राम भक्ति काव्य धारा

विविध भक्ति सम्प्रदाय 1. अद्वैत सम्प्रदाय (विशिष्टावाद)  -शंकराचार्य2. श्री सम्प्रदाय (विशिष्टाद्वैतवाद) -रामानुजाचार्य3. ब्रह्म सम्प्रदाय (द्वैत वाद) -मध्वाचार्य4. हंस सम्प्रदाय (सनकादि सम्प्रदाय, दवैतादवैतवाद) -निम्बकाचार्य5. वल्लभ सम्प्रदाय (शुद्धाद्वैतवाद) -वल्लभाचार्य6. रुद्र सम्प्रदाय (शुद्ध ब्रह्म मायारहित) -विष्णु स्वामी7. गौड़ीय सम्प्रदाय (भेदाभेदवाद) -चैतन्य महाप्रभु8. सखीसम्प्रदाय (हरिदासी सम्प्रदाय)  -हरिदास 9. रसिक. सम्प्रदाय – अग्रदास10. स्वसुखी सम्प्रदाय -रामचरण दास11. उद्धति  सम्प्रदाय -सहजानंद12.  महापुरुषिया सम्प्रदाय-शांकरदेव13. रामदासी सम्प्रदाय – रामदास14. . तत्सुखी सम्प्रदाय-जीवाराम.15.  राधावल्लभ सम्प्रदाय -गोस्वामी हित हरिवंश16. वारकरी सम्प्रदाय- पुंडलिक 

भक्ति काल के विविध तथ्य

राम भक्ति काव्य धारा

भक्ति काल के विविध तथ्य भक्ति काल को ‘हिन्दी साहित्य का स्वर्ण काल’ कहा जाता है। भक्ति काल के उदय के बारे में सबसे पहले जार्ज ग्रियर्सन ने मत व्यक्त किया। वे ही ‘ईसायत की देन’ मानते हैं। ताराचंद के अनुसार भक्ति काल का उदय ‘अरबों की देन’ है। रामचन्द्र शुक्ल के मतानुसार, ‘देश में … Read more

हिंदी के संत कवि

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संत काव्य के प्रमुख कवि : संत काव्य के प्रवर्तक संत कबीर माने जाते हैं। इस विचारधारा के बीज आदिकाल के नाथ कवियों तथा संत नामदेव की रचनाओं में मिलते हैं। भक्ति कालीन निर्गुण संत कवियों में कबीर, दाद, नानक, रैदास, सुन्दरदास, मलूकदास आदि संतो ने इस धारा के प्रचार-प्रसार तथा विकास में अपना बहुत … Read more

भक्तिकाल की प्रसिद्ध पंक्तियाँ

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भक्तिकाल की प्रसिद्ध पंक्तियाँ संतन को कहा सीकरी सो काम ?आवत जात पनहियाँ टूटी, बिसरि गयो हरिनाम।जिनको मुख देखे दुख उपजत, तिनको करिबे परी सलाम। -कुंभनदास नाहिन रहियो मन में ठौरनंद नंदन अक्षत कैसे आनिअ उर और -सूरदास हऊं तो चाकर राम के पटौ लिखौ दरबार,अब का तुलसी होहिंगे नर के मनसबदार। -तुलसीदास आँखड़ियाँ झाँई … Read more

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