दलपत विजय रचित खुमानरासो (810-1000)

खुम्माण ने 24 युद्ध किए और वि.सं. 869 से 893 तक राज्य किया। यह समस्त वर्णन ‘दलपतविजय’ नामक किसी कवि के रचित खुमानरासो के आधार पर लिखा गया जान पड़ता है।

मैथिलकोकिल विद्यापति का साहित्यिक परिचय

मैथिलकोकिल विद्यापति का साहित्यिक परिचय :आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार “ विद्यापति के पद अधिकतर शृंगार के ही हैं जिनमें नायिका और नायक राधा-कृष्ण हैं। विद्यापति शैव थे। इन्होंने इन पदों की रचना शृंगार काव्य की दृष्टि से की है, भक्त के रूप में नहीं। विद्यापति को कृष्णभक्तों  की परंपरा में नहीं समझना चाहिये” । … Read more

सूफी काव्य की विशेषताएँ

सूफी काव्य की विशेषताएँ भक्तिकालीन निर्गुण धारा की यह प्रेममार्गी शाखा कहलायी जाती है । इस काव्य धारा के प्रमुख कवि ‘जायसी’ है । प्रेममार्गी सूफी कवियों ने कल्पित कहानियों के माध्यम से प्रेममार्ग का महत्व प्रतिपादन किया है । इन कवियों ने लौकिक प्रेम के बहाने उस प्रेम तत्व का अभास दिया है । … Read more

अपभ्रंश भाषा के कवियों का परिचय

हिन्दी साहित्य का आदिकाल

अपभ्रंश भाषा के कवियों का परिचय इस पोस्ट में बताया गया है- अपभ्रंश भाषा के कवियों का परिचय हेमचंद्र- गुजरात के सोलंकी राजा सिद्धराज जयसिंह (संवत् 1150-1199) और उनके भतीजे कुमारपाल (संवत् 1199-1230) के यहाँ हेमचंद्र का बड़ा मान था।ये अपने समय के सबसे प्रसिद्ध जैन आचार्य थे।इन्होंने एक बड़ा भारी व्याकरण ग्रंथ सिद्ध हेमचंद्र … Read more

अपभ्रंश काव्य : हिन्दी साहित्य का इतिहास – पंडित रामचंद्र शुक्ल

हिन्दी साहित्य का आदिकाल

अपभ्रंश काव्य : हिन्दी साहित्य का इतिहास – पंडित रामचंद्र शुक्ल का सार जब से प्राकृत बोलचाल की भाषा न रह गई तभी से अपभ्रंश साहित्य का आविर्भाव समझना चाहिए। पहले जैसे ‘गाथा’ या ‘गाहा’ कहने से प्राकृत का बोध होता था वैसे ही पीछे ‘दोहा’ या दूहा’ कहने से अपभ्रंश या लोक प्रचलित काव्यभाषा … Read more

सूफी काव्य की जानकारी

Hindi Sahity

सूफी काव्य : भक्तिकाल के निर्गुण संत काव्य के अंतर्गत सूफी काव्य को प्रेममार्गी सूफी शाखा’के नाम से संबोधित किया है। अन्य नामों में प्रेमाख्यान काव्य, प्रेम काव्य, आदि प्रमुख है। इस काव्य परम्परा को सूफी संतो की देन माना जाता है। सूफी शब्द की उत्पत्ति सूफी शब्द की उत्पत्ति के संबंध में ‘सूफ’ को … Read more

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