प्रसादोत्तर युग के नाटक कार
प्रसादोत्तर युग के नाटक कार
डॉ० लक्ष्मीनारायण लाल –अंधा कुआँ, मादा कैक्टस, रातरानी, तीन आँखों वाली मछली, सुंदर रस, सूखा सरोवर, रक्तकमल, कलंकी, सूर्यमुखी, पंचपुरुष, मिस्टर अभिमन्यु, करफ्यू, सुगन पंछी, दर्पन, गंगामाटी, राक्षस का मंदिर
मोहन राकेश –आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस, आधे-अधूरे, पैरों तले की जमीन (अधूरा)
सेठ गोविंददास- स्नेह या स्वर्ग, कर्तव्य
गिरिजा कुमार माथुर -कल्पांतर
सिद्धनाथ –सृष्टि की साँझ, लौह देवता, संघर्ष, विकलांगों का देश, बादलों का शाप
दुष्यंत कुमार- एक कण्ठ विषपायी
मन्नू भण्डारी -बिना दीवारों के घर, रजनी दर्पण
नरेश मेहता –सुबह के घंटे, खंडित यात्राएँ, उलझन
शिवप्रसाद सिंह -घाटियाँ गूँजती है।
ज्ञानदेव अग्निहोत्री –नेफा की एक शाम, शुतुरमुर्ग
विपिन कुमार अग्रवाल- तीन अपाहिज, खोए हुए आदमी की खोज
सुरेंद्र वर्मा –द्रौपदी, आठवाँ सर्ग, सूर्य की अंतिम किरण से सूर्य की पहली किरण तक, सेतुबंध, छोटे सैयद बड़े सैयद, शकुन्तला की अँगूठी
गिरीश कर्नाड –तुगलक, नागमंडल, रक्त-कल्याण
सर्वेश्वरदयाल सक्सेना –बकरी, लड़ाई, कल भात आएगा
मुद्राराक्षस –मरजीवा, तेंदुआ, तिलचट्टा
भीष्म साहनी -कबीर खड़ा बजार में, हानूश, माधवी
हबीब तनवीर– चरणदास चोर, मिट्टी की गाड़ी, आगरा बाजार
शंकर शेष –एक और द्रोणाचार्य, फंदी, बंधन अपने-अपने, कोमल गांधार
गिरिराज किशोर -नरमेध, प्रजा ही रहने दो
मणि मधुकर –रसगंधर्व, खेला पोलमपुर
निर्मल वर्मा -तीन एकांत, वीक एण्ड, धूप का एक टुकड़ा, डेढ़ इंच ऊपर
गोविंद चातक –काला मुँह, अपने-अपने खूँटे
विजय तेंदुलकर –घासीराम कोतवाल, हल्ला बोल
स्वदेश दीपक –नाटक बाल भगवान, कोर्ट मार्शल, जलता हुआ रथ, सबसे उदास कविता, काल कोठरी