अंधेर नगरी प्रहसन व्याख्या
अंधेर नगरी प्रहसन व्याख्या
राम के नाम से काम बनै सब,राम के भाजन बिनु सबहिं नसाई ||राम के नाम से दोनों नयन बिनु सूरदास भए कबिकुलराई । राम के नाम से घास जंगल की, तुलसी दास भए भजि रघुराई ॥
शब्दार्थ-
दोनों नयन बिनु-जिनके दोनों!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
रामधारी सिंह दिनकर का साहित्यिक परिचय
रामधारी सिंह 'दिनकर' (23 सितम्बर 1908- 24 अप्रैल 1974) हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। आप छायावादोत्तर कवियों की!-->…
प्रगतिवादी कवियों की महत्वपूर्ण काव्य पंक्तियाँ
प्रगतिवादी कवियों की महत्वपूर्ण काव्य पंक्तियाँ
(क) केदारनाथ अग्रवाल
(1) धूप चमकती है चाँदी की साड़ी पहने मैके में आयी बेटी की तरह मगन है।
(2) एक बीते के बराबर, यह हरा ठिगना चना बांधे मुरैठा शीश पर छोटे गुलाबी फूल का।
(3)!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
प्रगतिवाद (1936 से 1942 ई० )
प्रगतिवाद (1936 से 1942 ई० )
लखनऊ में अप्रैल, 1936 ई० में 'प्रगतिशील लेखक संघ' की स्थापना और प्रथम अधिवेशन के समय से हिन्दी में प्रगतिवादी आन्दोलन की शुरुआत होती है। इस अधिवेशन के प्रथम अध्यक्ष मुंशी प्रेमचंद थे।सन् 1934 ई० में गोर्की!-->!-->!-->…
हिंदी साहित्य में नयी कविता का युग
'दूसरे सप्तक' के प्रकाशन वर्ष 1951ई० से 'नयी कविता' का प्रारंभ माना जाता है।
'नयी कविता' उन कविताओं को कहा जाता है, जिनमें परम्परागत कविता से आगे नये भाव बोधों की अभिव्यक्ति के साथ ही नये मूल्यों और शिल्प विधान का अन्वेषण किया!-->!-->!-->…
प्रपद्यवाद या नकेनवाद
नकेनवाद की स्थापना सन् १९५६ में नलिन विलोचन शर्मा ने की थी। नकेनवाद को प्रपद्यवाद के नाम से भी जाना जाता है। इसे हिंदी साहित्य में प्रयोगवाद की एक शाखा माना जाता है।
प्रपद्यवाद या नकेनवाद के अंतर्गत तीन कवियों!-->!-->!-->…
साठोत्तरी कविता आंदोलन
साठोत्तरी हिन्दी साहित्य के इतिहास के अन्तर्गत सन् 1960 ई० के बाद मुख्यतः नवलेखन (नयी कविता, नयी कहानी आदि) युग से काफी हद तक भिन्नता की प्रतीति कराने वाली ऐसी पीढ़ी के द्वारा रचित साहित्य है जिनमें विद्रोह एवं अराजकता का स्वर प्रधान था।
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प्रयोगवादी कवियों की महत्वपूर्ण काव्य पंक्तियाँ
प्रयोगवादी कवियों की महत्वपूर्ण काव्य पंक्तियाँ
(क) अज्ञेय
(1) वही परिचित दो आँखें हीचिर माध्यम हैंसब आँखों से सब दर्दों से मेरे लिए परिचय का।
(2) यह दीप अकेला स्नेह भरा, है गर्व भरा मदमाता,पर इसको भी पंक्ति दे दो।
(3) किन्तु!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
हिंदी साहित्य का प्रयोगवाद
'प्रयोगवाद' 'तार सप्तक' के माध्यम से वर्ष 1943 ई० में प्रकाशन जगत में आई और जो प्रगतिशील कविताओं के साथ विकसित होती गयी तथा जिनका पर्यावसान 'नयी कविता' में हो गया।
कविताओं को सबसे पहले नंद दुलारे बाजपेयी ने 'प्रयोगवादी कविता' कहा।!-->!-->!-->…
हिंदी की पहली कहानी
हिंदी की पहली कहानी
हिंदी कहानी का वास्तविक विकास 'द्विवेदी युग' से ही शुरू हुआ। किशोरी लाल गोस्वामी की इंदुमती कहानी को कुछ विद्वान हिंदी की पहली कहानी मानते हैं। अन्य कहानियों में बंग महिला की दुलाई वाली, शुक्ल जी की ग्यारह वर्ष का!-->!-->!-->…