रस (Sentiments) की परिभाषा
रस के प्रकार
आचार्य भरतमुनि ने नाटकीय महत्त्व को ध्यान में रखते हए आठ रसों का उल्लेख किया- शृंगार, हास्य, करूण, रौद्र, वीर, भयानक, बीभत्स, अदभुत। आचार्य मम्मट और पण्डितराज जगन्नाथ ने रसों की संख्या नौ मानी है- शृंगार, हास्य, करूण, रौद्र, वीर, भयानक, बीभत्स, अदभुत और शान्त।
आचार्य विश्वनाथ ने वात्सल्य को दसवाँ रस माना है तथा रूपगोस्वामी ने ‘मधुर’ नामक ग्यारहवें रस की स्थापना की, जिसे भक्ति रस के रूप में मान्यता मिली।
वस्तुतः रस के ग्यारह भेद होते है-
(1) शृंगार रस
(2) हास्य रस
(3) करूण रस
(4) रौद्र रस
(5) वीर रस
(6) भयानक रस
(7) बीभत्स रस
(8) अदभुत रस
(9) शान्त रस
(10) वत्सल रस
(11) भक्ति रस