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हिन्दी साहित्यकार
इस श्रेणी में हिन्दी भाषा के साहित्यकारों के जीवन परिचय, रचनाएँ , लेखन कला व साहित्य में स्थान के बारे में बताने का प्रयास किया गया है.
पद्माकर का साहित्यिक परिचय
रीति काल के ब्रजभाषा कवियों में पद्माकर (1753-1833) का महत्त्वपूर्ण स्थान है। वे हिंदी साहित्य के रीतिकालीन कवियों में अंतिम चरण के सुप्रसिद्ध और विशेष सम्मानित कवि थे।
पद्माकर के पिता मोहनलाल भट्ट सागर में बस गए थे। यहीं पद्माकर जी का जन्म सन् 1753 में हुआ।
पद्माकर राजदरबारी कवि के रूप में कई नरेशों से सम्मानित किये गए थे अतः वे अनेक!-->!-->!-->!-->!-->…
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कृष्णदास का साहित्यिक परिचय
कृष्णदास हिन्दी के भक्तिकाल के अष्टछाप के कवि थे।
उनका जन्म 1495 ई. के आसपास गुजरात में चिलोतरा ग्राम के एक कुनबी पाटिल परिवार में हुआ था। बचपन से ही प्रकृत्ति बड़ी सात्विक थी। जब वे 12-13 वर्ष के थे तो उन्होंने अपने पिता को चोरी करते देखा और उन्हें गिरफ्तार करा दिया फलत: वे पाटिल पद से हटा दिए गए। इस कारण पिता ने उन्हें घर से निकाल दिया। वे!-->!-->!-->…
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भूषण का साहित्यिक परिचय
महाकवि भूषण का जन्म संवत 1670 तदनुसार ईस्वी 1613 में हुआ। वे मूलतः टिकवापुर गाँव के निवासी थे जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के घाटमपुर तहसील में पड़ता है। उनके दो भाई चिन्तामणि और मतिराम भी कवि थे।
'शिवराज भूषण' ग्रंथ के निम्न दोहे के अनुसार 'भूषण' उनकी उपाधि है जो उन्हें चित्रकूट के राज हृदयराम के पुत्र रुद्रशाह ने दी थी -
कुल!-->!-->!-->!-->!-->…
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चतुर्भुजदास का साहित्यिक परिचय
चतुर्भुजदास, कुम्भनदास के पुत्र और गोस्वामी विट्ठलनाथ के शिष्य थे। डा ० दीन दयाल गुप्त के अनुसार इनका जन्म वि ० सं ० 1520 और मृत्यु वि ० सं ० 1624 में हुई थी। इनका जन्म जमुनावती गांव में गौरवा क्षत्रिय कुल में हुआ था।
वार्ता के अनुसार ये स्वभाव से साधु और प्रकृति से सरल थे। इनकी रूचि भक्ति में आरम्भ से ही थी। अतः भक्ति भावना की इस तीव्रता के!-->!-->!-->…
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छीतस्वामी का साहित्यिक परिचय
छीतस्वामी वल्लभ संप्रदाय (पुष्टिमार्ग) के आठ कवियों (अष्टछाप कवि) में एक। जिन्होने भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का अपने पदों में वर्णन किया।
छीतस्वामी का जन्म
इनका जन्म १५१५ ई० में हुआ था। मथुरा के चतुर्वेदी ब्राह्मण थे।
छीतस्वामी के गुरु
छीतस्वामी श्री गोकुलनाथ जी के शिष्य थे।
छीतस्वामी जी का एक पद
भोग श्रृंगार यशोदा!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
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परमानन्द दास का साहित्यिक परिचय
परमानन्ददास वल्लभ संप्रदाय (पुष्टिमार्ग) के आठ कवियों (अष्टछाप कवि) में एक कवि जिन्होने भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का अपने पदों में वर्णन किया।
परमानन्द दास का जन्म
इनका जन्म काल संवत 1606 के आसपास है। अष्टछाप के कवियों में प्रमुख स्थान रखने वाले परमानन्ददास का जन्म कन्नौज (उत्तर प्रदेश) में एक निर्धन कान्यकुब्ज ब्राह्मण परिवार में!-->!-->!-->!-->!-->…
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हेमचन्द्र का साहित्यिक परिचय
हेमचन्द्र का साहित्यिक परिचय
आचार्य हेमचंद्रका जन्म गुजरात में अहमदाबाद से १०० किलोमीटर दूर दक्षिण-पश्चिम स्थित धंधुका नगर में विक्रम संवत ११४५ के कार्तिकी पूर्णिमा की रात्रि में हुआ था। मातापिता शिवपार्वती उपासक मोढ वंशीय वैश्य थे। पिता का नाम चाचिंग अथवा चाच और माता का नाम पाहिणी देवी था।
आचार्य हेमचन्द्र (1145-1229) कलिकाल!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
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अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध का साहित्यिक परिचय
अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध का साहित्यिक परिचय
अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' (15 अप्रैल, 1865-16 मार्च, 1947) हिन्दी के कवि, निबन्धकार तथा सम्पादक थे। उन्होंने हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति के रूप में कार्य किया। वे सम्मेलन द्वारा विद्यावाचस्पति की उपाधि से सम्मानित किये गए थे। उन्होंने प्रिय प्रवास नामक खड़ी बोली हिंदी का पहला महाकाव्य लिखा!-->!-->!-->…
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शारंगधर का साहित्यिक परिचय
शारंगधर का साहित्यिक परिचय
शारंगधर अच्छे कवि और सूत्रकार थे। इन्होंने 'शारंगधर पद्धति' के नाम से एक सुभाषित संग्रह भी बनाया है ।
शारंगधर का आयुर्वेद का ग्रंथ प्रसिद्ध है।
रणथंभौर के सुप्रसिद्ध वीर महाराज हम्मीरदेव के प्रधान सभासदों में राघवदेव थे। उनके भोपाल, दामोदर और देवदास ये तीन पुत्र हुए। दामोदर के तीन पुत्र हुए शारंगधर, लक्ष्मीधर!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
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सोमप्रभ सूरि का साहित्यिक परिचय
सोमप्रभ सूरि––ये भी एक जैन पंडित् थे। इन्होंने संवत् 1241 में "कुमारपालप्रतिबोध" नामक एक गद्यपद्यमय संस्कृत-प्राकृत-काव्य लिखा जिसमें समय समय पर हेमचंद्र द्वारा कुमारपाल को अनेक प्रकार के उपदेश दिए जाने की कथाएँ लिखी हैं। यह ग्रंथ अधिकांश प्राकृत में ही है––बीच बीच में संस्कृत श्लोक और अपभ्रंश के दोहे आए हैं।
अपभ्रंश के पद्यों में कुछ तो!-->!-->!-->…
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