गद्य साहित्य

मनुष्य की सहज एवं स्वाभाविक अभिव्यक्ति का रूप गद्य है। कविता और गद्य में बहुत सी बातें समान हैं। दोनों के उपकरण शब्द हैं जो अर्थ परिवर्तन के बिना एक ही भंडार से लिए जाते है; दोनों के व्याकरण और वाक्यरचना के नियम एक ही हैं (कविता के वाक्यों में कभी कभी शब्दों का स्थानांतरण, वाक्यरचना के आधारभूत नियमों का खंडन नहीं), दोनों ही लय और चित्रमय उक्ति का सहारा लेते हैं। वर्डस्वर्थ के अनुसार गद्य और पद्य (या कविता) की भाषा में कोई मूलभूत अंतर न तो है और न हो सकता है।

हिन्दी साहित्य के एकांकीकार

हिन्दी साहित्य के प्रमुख एकांकीकार व उनके एकांकी के नाम इस प्रकार से हैं: – हिन्दी साहित्य के एकांकीकार राधाचरण गोस्वामी –तन-मन-धन गुसाँई जी के अर्पण बालकृष्ण भट्ट -शिक्षादान देवकीनंदन खत्री- जनेऊ का खेल ‘उग्र’ -चार बेचारे, अफजल बध, भाई मियाँ सुदर्शन- आनरेरी मजिस्ट्रेट , राजपूत की हार, प्रताप प्रतिज्ञा जयशंकर प्रसाद– एक घूँट डॉ० […]

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हिन्दी साहित्य में प्रमुख आत्मकथा

मौलिक आत्मकथाएं अर्द्धकथानक (1641 ई०) -बनारसीदास जैन स्वरचित आत्मचरित (1879 ई०) -दयानंद सरस्वती मुझमें देव जीवन का विकास (1909 ई०) -सत्यानंद अग्निहोत्री मेरे जीवन के अनुभव (1914 ई०) -संत राय फिजी द्वीप में मेरे इक्कीस वर्ष (1914 ई०)– तोताराम सनाढय मेरा संक्षिप्त जीवन चरित्र-मेरा लिखित (1920 ई०)- राधाचरण गोस्वामी आपबीता : काले पानी के कारावास

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हिन्दी साहित्य के प्रमुख रिपोर्ताज

हिन्दी साहित्य के प्रमुख रिपोर्ताज (Riportaj)व उनके रचनाकार इस प्रकार से हैं- शिवदान सिंह चौहान- लक्ष्मीपुरा (1938 ई०, ‘रूपाभ’ पत्रिका में प्रकाशित होने वाली रिपोर्ट) रांगेय राघव- तूफानों के बीच (1946 ई०, हंस’ पत्रिका में बंगाल के अकाल से संबंधित रिपोर्टो का पुस्तकाकार संकलन) भदंत आनंद कौसल्यायन– देश की मिट्टी बुलाती है शमशेर बहादुर सिंह-

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हिन्दी निबंध पर वस्तुनिष्ठ प्रश्न

हिन्दी निबंध पर वस्तुनिष्ठ प्रश्न 1 अध्यापक पूर्ण सिंह किस युग के निबंधकार हैं?1 भारतेन्दु युग2 द्विवेदी युग3 शुक्ल युग4 शुक्लोत्तर युग 2 भाषा में लाक्षणिकता के लिए कौन से निबंधकार जाने जाते हैं?1 पूर्णसिंह2 भारतेन्दु3 प्रतापनारायण मिश्र4 रामचंद्र शुक्ल 3 पूर्ण सिंह जी का जन्म हुआ था:- 1 एबटाबाद में2 लाहौर3 अमृतसर4 करांची 4

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हिन्दी कहानी का विकास

हिन्दी कहानी का विकास Q.1 हिन्दी कहानी का उद्भव किस युग से माना जाता है (अ)प्रसाद युग(ब)प्रसादोत्तर युग (स) शुक्ल युग(द)शुक्लोत्तर युग✔Q.2 दामुल का कैदी कहानी के लेखक हैं ?(अ)यशपाल (ब)प्रेमचन्द (स)जयशंकर प्रसाद (द)धर्मवीर भारतीQ.3 पत्नी कहानी के लेखक हैं?(अ)भीष्म साहनी (ब)इला चन्द्र जोशी (स)जैनेंद्र (द)सुदर्शनQ.4 हिन्दी का कौन सा कहानीकार ‘नवाबराय’ के नाम से

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हिन्दी गद्य के विकास

हिन्दी गद्य के विकास के विभिन्न सोपान अध्ययन की दृष्टि से हिंदी गद्य साहित्य के विकास को इस प्रकार विभाजित किया जा सकता है। हिन्दी गद्य के विकास को विभिन्न सोपानों में विभक्त किया जा सकता है- (1) पूर्व भारतेंदु युग(प्राचीन युग): 13 वी सदी से 1868 ईस्वी तक.(2) भारतेंदु युग(नवजागरण काल): 1868ईस्वी से 1900

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हिन्दी गद्य का उद्भव एवं विकास

नामकरण – हिन्दी गद्य का उद्भव एवं विकास – खड़ी बोली गद्य की प्रारम्भिक रचनाएं एवं रचनाकार – 1. लल्लू लाल – 2. सदल मिश्र – 3. मुंशी सदासुख लाल नियाज 4. इंशा अल्ला खां – 5. राजा शिवप्रसाद ‘सितार-ए-हिन्द’ – प्रमुख रचनाएं – 6. राजा लक्ष्मणसिंह – 7. बाबू नवीन चन्द्रराय – इन्होंने सितार-ए-हिन्द

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दिव्या-यशपाल

‘दिव्या’ का कथानक बौद्धकाल की स्मृतियों पर आधारित है। ‘दिव्या’ यशपाल के श्रेष्ठ उपन्यासों में एक से है। इस उपन्यास में युग-युग की उस दलित-पीड़ित नारी की करुण कथा है, जो अनेकानेक संघर्षों से गुज़रती हुई अपना स्वस्थ मार्ग पहचान लेती है। यशपाल जी का ‘दिव्या’ एक काल्पनिक ऐतिहासिक उपन्यास है।  उपन्यास में वर्णित घटनाएँ पाठकों के

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हिन्दी की महिला उपन्यासकार एवं उपन्यास

हिन्दी की महिला उपन्यासकार एवं उपन्यास निम्नांकित हैं- उषा प्रियंवदा (1) पचपन खम्भे लाल दीवारें (1961), (2) रुकोगी नहीं राधिका (1967), (3) शेषयात्रा (1984), (4) अंतर्वशी (2000), (5) भए कबीर उदास (2007)। चन्द्रकिरण सौनरेक्सा (1) चंदन चाँदनी (1962), (2) वंचिता (1972) कृष्णा सोबती  (1) मित्रो मरजानी (1967), (2) सूरजमुखी अँधेरे के (1972), (3) जिन्दगीनामा (1979),

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हिंदी डायरी साहित्य 

हिन्दी डायरी विद्या का प्रवर्तन श्री राम शर्मा कृत ‘सेवाग्राम की डायरी’ (1946) से माना जाता है। हिंदी डायरी साहित्य  हिन्दी डायरी लेखक व डायरी निम्नलिखित हैं- लेखक डायरी घनश्यामदास बिड़ला डायरी के पन्ने धीरेंद्र वर्मा मेरी कालिज डायरी (1954) सुन्दरलाल त्रिपाठी दैनंदिनी सियारामशरण गुप्त दैनिकी उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’ ज्यादा अपनी कम परायी (1959) हरिवंश राय

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