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भाषा विज्ञान

‘भाषा’ शब्द संस्कृत की ‘‘भाष्’’ धातु से निष्पन्न हुआ है। जिसका अर्थ है-व्यक्त वाक् (व्यक्तायां वाचि)। ‘विज्ञान’ शब्द में ‘वि’ उपसर्ग तथा ‘ज्ञा’ धातु से ‘ल्युट्’ (अन) प्रत्यय लगाने पर बनता है। सामान्य रूप से ‘भाषा’ का अर्थ है ‘बोलचाल की भाषा या बोली’ तथा ‘विज्ञान’ का अर्थ है ‘विशेष ज्ञान’, किन्तु ‘भाषा-विज्ञान’ शब्द में प्रयुक्त इन दोनों पदों का स्पष्ट और व्यापक अर्थ समझ लेने पर ही हम इस नाम की सारगर्भिता को जानने में सफल होंगे। अतः हम यहाँ इन दोनों पदों के विस्तृत अर्थ को स्पष्ट करने का प्रयास करते हैं।

मानव एक सामाजिक प्राणी है। समाज में अपने भावों और विचारों को एक दूसरे तक पहुंचाने की आवश्यकता चिरकाल से अनुभव की जाती रही है। इस प्रकार भाषा का अस्तित्त्व मानव समाज में अति प्राचीन सिद्ध होता है। मानव के सम्पूर्ण ज्ञान-विज्ञान का प्रकाशन करने के लिए, सभ्यता और संस्कृति के इतिहास को जानने के लिए भाषा एक महत्त्वपूर्ण साधन का कार्य करती है। हमारे पूर्वपुरुषों से सभी साधारण और असाधारण अनुभव हम भाषा के माध्यम से ही जान सके हैं। हमारे सभी सद्ग्रन्थों और शास्त्रों से मिलने वाला ज्ञान भाषा पर ही निर्भर है।

भाषा की उत्पत्ति सिद्धांत (The Origin Theory of Language)

भाषाओं की उत्पत्ति (The Origin Theory of Language) के सम्बन्ध में सबसे प्राचीन मत यह है कि संसार की अनेकानेक वस्तुओं की रचना जहाँ भगवान ने की है । भाषा की उत्पत्ति संस्कृत के भाष शब्द से हुई जिसका अर्थ है बोलना, यानि जब हमने बोलना सीखा उसी समय भाषा का भी जन्म हो गया । भाषा की लिखित अभिव्यक्ति पुरापाषाण काल मे हुई।
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भाषा की परिभाषा ( Definition of language )

भाषा की परिभाषा ( Definition of language in Hindi ) भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर, सुनकर, लिखकर व पढ़कर अपने मन के भावों या विचारों का आदान-प्रदान करता है। दूसरे शब्दों में, जिसके द्वारा हम अपने भावों को लिखित अथवा कथित रूप से दूसरों को समझा सके और दूसरों के भावो को समझ सके उसे भाषा कहते है। सरल शब्दों में, सामान्यतः
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हिंदी व्याकरण की परिभाषा,कार्य व विशेषताएं

हिंदी व्याकरण की परिभाषा,कार्य व विशेषताएं :भाषा की संरचना के ये नियम सीमित होते हैं और भाषा की अभिव्यक्तियाँ असीमित। एक-एक नियम असंख्य अभिव्यक्तियों को नियंत्रित करता है। भाषा के इन नियमों को एक साथ जिस शास्त्र के अंतर्गत अध्ययन किया जाता है उस शास्त्र को व्याकरण कहते हैं। hindi vyakaran व्याकरण की परिभाषा - व्याकरण वह विद्या है जिसके
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भाषा संप्रेषण का स्वरूप स्पष्ट करें

भाषा संप्रेषण का स्वरूप: भाषा का एक आंतरिक पक्ष है। भाषा एक रचना है। भाषा की व्याकरणिक रचना मन के जटिल भावों को एक-दूसरे पर प्रकट करने में सहायक है। इस दृष्टि से विचारों की अभिव्यक्ति यानी संप्रेषण की प्रक्रिया में भाषा को संरचना साधन का काम करती है। भाषाविज्ञान और हिंदी भाषा भाषा का एक बाह्य पक्ष है। भाषा का सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ
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भाषा की संरचना एवं भाषिक आधार

भाषा की संरचना एवं भाषिक आधार के इस पोस्ट के अध्ययन के पश्चात् सक्षम होंगे- भाषा की संरचना से परिचित होंगे। भाषा के आधार से अवगत होंगे। . भाषाविज्ञान और हिंदी भाषा भाषा की संरचना भाषा यादृच्छिक ध्वनि-प्रतीकों की संरचनात्मक व्यवस्था है। भाषा-संरचना का मूलाधार संरचनात्मक पद्धति है। जिस प्रकार भवन-रचना में ईंट सीमेंट लोहा. शक्ति अर्थात
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भाषा के प्रकार्य

इस पोस्ट में भाषा के प्रकार्य के बारें पढेंगे भाषा के प्रकार्य विचारों के आदान – प्रदान का महत्वपूर्ण साधन है।भाषा के द्वारा मनुष्य अपनी अनुभूतियों (विचारों) तथा भावों को व्यक्त करता है। साथ ही सामाजिक संबंधों की अभिव्यक्ति का उपकरण भी उसे बनाता है।अपनी इस प्रकृति के कारण भाषा एक और मानसिक व्यापार और दूसरी और सामाजिक व्यापार से जुड़ी
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भाषा की प्रकृति व विशेषताएँ

भाषा के सहज गुण-धर्म को भाषा की प्रकृति कहते हैं। इसे ही भाषा की विशेषता या लक्षण कह सकते हैं। भाषा-प्रकृति को दो भागों में विभक्त कर सकते हैं। भाषा की प्रथम प्रकृति वह है, जो सभी भाषाओं के लिए मान्य होती है। इसे भाषा की सर्वमान्य प्रकृति कह सकते हैं। द्वितीय प्रकृति वह है , जो भाषा विशेष में पाई जाती हैं। इससे एक भाषा से दूसरी भाषा की
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भाषा की महत्त्व

भाषा की महत्त्व एवं विशेषताएँ : मनुष्य सामाजिक प्राणी है। समाज में रहने के नाते उसे आपस में सर्वदा ही विचार-विनिमय करना पड़ता है। कभी वह शब्दों या वाक्यों द्वारा अपने आपको प्रकट करता है। तो कभी सिर हिलाने से उसका काम चल जाता है। समाज के उच्च और शिक्षित वर्ग में लोगों को निमंत्रित करने के लिए निमत्रण-पत्र छपवाये जाते हैं । देहात के अनपढ़ और
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ध्वनि विज्ञान

इन्हें भी पढ़ें :- स्वनिम विज्ञान की परिभाषास्वन और वागीन्द्रियस्वनों का वर्गीकरणस्वनिम परिवर्तन के कारण ध्वनि या स्वन की परिभाषा भाषा की लघुत्तम इकाई स्वन है। इसे ध्वनि नाम भी दिया जाता है। ध्वनि के अभाव में भाषा की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। ध्वनि विज्ञान भाषा विज्ञान में स्वन के अध्ययन संदर्भ को ‘स्वनविज्ञान’ की संज्ञा दी जाती
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