भाषा इतिहास

हिन्दी भाषा का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना माना गया है। सामान्यतः प्राकृत की अन्तिम अपभ्रंश अवस्था से ही हिन्दी साहित्य का आविर्भाव स्वीकार किया जाता है। उस समय अपभ्रंश के कई रूप थे और उनमें सातवीं-आठवीं शताब्दी से ही ‘पद्य’ रचना प्रारम्भ हो गयी थी। हिन्दी भाषा व साहित्य के जानकार अपभ्रंश की अंतिम अवस्था ‘अवहट्ट’ से हिन्दी का उद्भव स्वीकार करते हैं। चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ ने इसी अवहट्ट को ‘पुरानी हिन्दी’ नाम दिया।

हिंदी की संवैधानिक स्थिति

राजभाषा की संवैधानिक स्थिति पर चर्चा करने से पहले हमें इतिहास के बारे में जानना होगा। राजभाषा हिंदी की संवैधानिक स्थिति स्वतंत्र भारत के संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर, 1946 को हुई और लगातार दो ढाई वर्ष तक संविधान निर्माण का कार्य चलता रहा। संविधान सभा में राजभाषा पर तीन दिन तक लंबी […]

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वीरगाथा काल – आचार्य रामचंद्र शुक्ल

हमने हिंदी साहित्य की पाठ्य सामग्री को विशेष ध्यान देकर परीक्षा उपयोगी बनाई है। इस पोस्ट को बनाने में हमने ” पंडित आचार्य श्री रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित हिंदी साहित्य का इतिहास ग्रंथ ” की  पूरी मदद ली है । हमने कोशिश की है कि सार संक्षेप में आपको सामग्री उपलब्ध कराई जाए । फिर भी यदि हमसे कोई आवश्यक जानकारी छूट जाती है या  त्रुटि हो जाती है तो इसके लिए हम क्षमा प्रार्थी रहेंगे। इसके अतिरिक्त आपकी परीक्षा तैयारी व परिणाम के लिए हम जिम्मेदारी नहीं ले रहे हैं।

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भाषा विज्ञान, हिंदी भाषा एवं देवनागरी लिपि पर वस्तुनिष्ठ प्रश्न

भाषा विज्ञान, हिंदी भाषा एवं देवनागरी लिपि प्रश्न 1 “मनुष्य और मनुष्य के बीच वस्तुओं के विषय में अपनी इच्छा और मति के आदान प्रदान करने के लिए व्यक्त ध्वनि संकेतों का जो व्यवहार होता है उसे भाषा कहते हैं।” उक्त परिभाषा किस विद्वान की है— 1 कामताप्रसाद गुरु2 भोलानाथ तिवारी3 श्यामसुंदर दास✔4 बाबूराम सक्सेना

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भारतीय आर्य भाषाएँ

यहाँ पर भारतीय आर्य भाषा के बारे में दिया गया हैं जो आपके विविध परीक्षाओं के दृष्टिकोण से बेहद उपयोगी साबित हो सकती हैं. भारतीय आर्य भाषाएँ हिन्द-आर्य भाषाएँ हिन्द-यूरोपीय भाषाओं की हिन्द-ईरानी शाखा की एक उपशाखा हैं, जिसे ‘भारतीय उपशाखा’ भी कहा जाता है। इनमें से अधिकतर भाषाएँ संस्कृत से जन्मी हैं। हिन्द-आर्य भाषाओं

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हिंदी की व्युत्पत्ति

हिंदी की व्युत्पत्ति हिन्दी शब्द का सम्बंध संस्कृत शब्द ‘सिन्धु’ से माना जाता है। यह सिन्धु शब्द ईरानी में जाकर ‘हिन्दू’, हिन्दी और फिर ‘हिन्द’ हो गया। बाद में ईरानी धीरे-धीरे भारत के अधिक भागों से परिचित होते गए और इस शब्द के अर्थ में विस्तार होता गया तथा ‘हिन्द’ शब्द पूरे भारत का वाचक

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देवनागरी लिपि

प्राचीन नागरी लिपि का प्रचार उत्तर भारत में नवीं सदी के अंतिम चरण से मिलता है, यह मूलत: उत्तरी लिपि है, पर दक्षिण भारत में भी कुछ स्थानों पर आठवीं सदी से यह मिलती है। दक्षिण में इसका नाम नागरी न होकर नंद नागरी है। आधुनिक काल की नागरी या देवनागरी, गुजराती, महाजनी, राजस्थानी तथा

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हिंदी साहित्य इतिहास लेखन की परंपरा

हिन्दी साहित्य का इतिहास लेखन परंपरा  हिंदी में साहित्य का इतिहास लेखन की परम्परा की शुरुआत 19 वीं शताब्दी से ही मानी जाती है , लेकिन कुछ पूर्ववर्ती रचनाएं मिलती हैं जो कालक्रम व विषय-वस्तु का विवेचन न होने के कारण इतिहास ग्रन्थ तो नहीं लेकिन उनमें रचनाकारों का विवरण है । इन्हें वृत्त संग्रह कहा जा सकता है । इनमें प्रमुख हैं – 

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भाषा के अर्थ में हिंदी शब्द का प्रयोग

हिंदी भाषा में शब्दों का प्रयोग अर्थ को स्पष्ट करने और संदेश को समझाने के लिए किया जाता है। यह भाषा भारत की एक मुख्य भाषा है और इसका प्रयोग देश के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक रूप से होता है। हिंदी शब्दों का उपयोग व्यक्ति की भावनाओं, विचारों, और धारणाओं को व्यक्त करने में मदद

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हिंदी कहानी के तत्व

हिंदी कहानी के तत्व 1. कथानककिसी प्रसंग का वर्णन करना इसमें जीवन के केवल एक अंश का वर्णन होता है इसमें किसी घटना का चित्रण भी शामिल होता है| 2. पात्र का चरित्र चित्रणकिसी भी कहानी में कई पात्र होते हैं यद्यपि पात्रों की संख्या सीमित होती है पात्र दो प्रकार के होते हैं वर्गीय

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