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हिंदी साहित्य
हिंदी साहित्य: हिंदी भारत और विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। उसकी जड़ें प्राचीन भारत की संस्कृत भाषा में तलाशी जा सकती हैं। परंतु हिन्दी साहित्य की जड़ें मध्ययुगीन भारत की अवधी, मागधी , अर्धमागधी तथा मारवाड़ी जैसी भाषाओं के साहित्य में पायी जाती हैं। हिंदी में गद्य का विकास बहुत बाद में हुआ। हिंदी ने अपनी शुरुआत लोकभाषा कविता के माध्यम से की। हिंदी का आरंभिक साहित्य अपभ्रंश में मिलता है।
वाक्यांश के लिए एक शब्द
वाक्यांश के लिए एक शब्द
जिसे गिना न जा सके - अगणितजो कुछ भी नहीं जानता हो - अज्ञजो बहुत थोड़ा जानता हो - अल्पज्ञजिसका जन्म नहीं होता - अजन्मापुस्तकों की समीक्षा करने वाला - समीक्षक , आलोचकजिसकी आशा न की गई हो - अप्रत्याशितजो इन्द्रियों से परे हो - अगोचरजो विधान के विपरीत हो - अवैधानिकजो संविधान के!-->!-->!-->…
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रस के अवयव :-
रस के अवयव :-
रस के चार अवयव है-
(1)स्थायी भाव :-
प्रत्येक मनुष्य के हृदय में कुछ न कुछ भाव अवश्य रहते है तथा वे कारण पाकर जागृत होते है ।उदाहरण -प्रत्येक मनुष्य के चित्त में प्रेम, दुःख, घृणा, शोक, करुणा आदि भाव रहते है।ये एसे भाव है जो संस्कार के रूप मे जन्म!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
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रस निष्पत्ति
रस निष्पत्ति काव्य को पढ़कर या सुनकर और नाटक को देखकर सहृदय स्रोता पाठक या सामाजिक के चित्त में जो लोकोत्तर आनंद उत्पन्न होता है, वही रस है।
भरतमुनि को रस सम्प्रदाय का प्रवर्तक माना जाता है।
भरतमुनि द्वारा रचित नाट्यशास्त्र में जो रस सूत्र है वह इसप्रकार है-
'विभावानुभावव्यभिचारिसंयोगाद्रसनिष्पत्ति' भरतमुनि
अर्थात विभाव, अनुभाव!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
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हिन्दी की महिला उपन्यासकार एवं उपन्यास
हिन्दी की प्रथम महिला उपन्यासकार 'साध्वी सती प्राण अबला' को माना जाता है। इन्होंने सन् 1890 ई. में 'सुहासिनी' नामक उपन्यास लिखा।ब्रजरत्नदास अनुसार 'साध्वी सती प्राण अबला' का मूल नाम मल्लिका देवी था।
हिन्दी की महिला उपन्यासकार एवं उपन्यास निम्नांकित हैं-
उषा प्रियंवदा- (1) पचपन खम्भे लाल दीवारें (1961), (2) रुकोगी नहीं राधिका (1967), (3)!-->!-->!-->!-->!-->…
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हिंदी डायरी साहित्य
हिन्दी डायरी विद्या का प्रवर्तन श्री राम शर्मा कृत 'सेवाग्राम की डायरी' (1946) से माना जाता है।
हिन्दी डायरी लेखक व डायरी निम्नलिखित हैं-
लेखकडायरीघनश्यामदास बिड़लाडायरी के पन्नेधीरेंद्र वर्मामेरी कालिज डायरी (1954)सुन्दरलाल त्रिपाठीदैनंदिनीसियारामशरण गुप्तदैनिकीउपेन्द्रनाथ 'अश्क'ज्यादा अपनी कम परायी (1959)हरिवंश राय बच्चनप्रवासी की डायरी!-->!-->!-->!-->!-->…
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हिन्दी के प्रमुख उपन्यास और उनके प्रमुख पात्र
मनोहर श्याम जोशी अपने उपन्यासों को 'गप्प बाइस्कोप' कहते है।'मुन्नी मोबाइल', 'तीसरी ताली' उपन्यास के लिए सन् 2012 का 'इन्दु अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान' प्रदान किया गया है।'ग्लोबल गाँव का देवता' उपन्यास रणेन्द्र ने लिखा है। इसमें आदिवासी समाज का चित्रण है।इला डालमिया ने कवि अज्ञेय के जीवन पर केन्द्रित 'छत पर अपर्णा' उपन्यास की रचना सन् 1988 ई. में!-->…
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अंधा युग गीतिनाट्य का कथासार
अंधा युग गीतिनाट्य का कथासार
स्थापना-
स्थापना के अन्तर्गत नाटककार ने मंगलाचरण, उद्घोषणा और अपनी कृति के वर्ण्य विषय का उल्लेख किया है। उद्घोषणा में उसने बताया है कि प्रस्तुत कृति का वर्ण्य विषय विष्णु पुराण से लिया गया है, जिसमें भविष्यवाणी करते हुए लिखा है कि उस भविष्य में सब लोग तथा उनके धर्म-अर्थ हासोन्मुख होंगे और धीरे-धऔरे सारी धरती का!-->!-->!-->!-->!-->…
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उसमान जी का साहित्यिक जीवन परिचय
उसमान जी का साहित्यिक जीवन परिचय
ये जहाँगीर के समय में वर्तमान थे और गाजीपुर के रहनेवाले थे. इनके पिता का नाम शेख हुसैन था और ये पाँच भाई थे. ये शाह निजामुद्दीन चिश्ती की शिष्य परंपरा में हाजीबाबा के शिष्य थे. उसमान ने सन् 1613 ई. में ‘चित्रावली’ नाम की पुस्तक लिखी. पुस्तक के आरंभ में कवि ने स्तुति के उपरांत पैगंबर और चार खलीफों की बादशाह!-->!-->!-->…
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शेख नवी का साहित्यिक जीवन परिचय
शेख नवी का साहित्यिक जीवन परिचय
ये जौनपुर जिले में दोसपुर के पास मऊ नामक स्थान के रहने वाले थे और सन् 1619 में जहाँगीर के समय में वर्तमान थे.
शेख नवी जी की रचनाएँ
इन्होंने ‘ज्ञानदीप’ नामक एक आख्यान काव्य लिखा, जिसमें राजा ज्ञानदीप और रानी देवजानी की कथा है.कृतियाँ — 1. ज्ञानदीप
शेख नवी जी साहित्य में स्थान
निर्गुण प्रेमाश्रयी!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
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कासिमशाह का साहित्यिक परिचय
कासिमशाह का साहित्यिक परिचय
ये दरियाबाद (बाराबंकी) के रहने वाले थे और सन् 1731 के लगभग वर्तमान थे.
कासिमशाह जी की रचनाएँ
कृतियाँ — 1. हंस जवाहिर
कासिमशाह जी का लेखन कला
आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार: इनकी रचना बहुत निम्न कोटि की है. इन्होंने जगह जगह जायसी की पदावली तक ली है, पर प्रौढ़ता नहीं है.
कासिमशाह जी साहित्य में!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
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