दूँगी फूल कनेर के कक्षा 6 हिन्दी
दूँगी फूल कनेर के
आना मेरे गाँव तुम्हें मैं
दूंगी फूल कनेर के ।
(1)
कच्चे, कुछ कच्चे कुछ पक्के घर हैं,
एक पुराना ताल है ।
सड़क बनेगी, सुनती हूँ,
इसका नंबर इस साल है ।
चखते आना टीले ऊपर
कई पेड़ हैं बेर के |
आना मेरे गाँव तुम्हें मैं
दूंगी फूल कनेर के ।
(2)
बाबा ने था पेड़ लगाया,
बापू ने फल खाए हैं । भाई कैसे उसे काटने,
को रहते ललचाए हैं ?
मेरे बचपन में ही आए,
दिन कैसे अंधेर के ?
आना मेरे गाँव तुम्हें मैं दूंगी फूल कर के ।
(3)
खड़िया पाटी, कॉपी बस्ते – –
लिखना पढ़ना रोज़ है
खेलें कूदें कभी न तो फिर, –
यह सब लगता बोझ है । कई मुखौटे तुम देखोगे,
मिट्टीवाले शेर के |
आना मेरे गाँव तुम्हें मैं दूंगी फूल कनेर के ।
(4)
रोना तो लगता ही ,
रहता है हर खेल में ।
रूठे, कुट्टी कर ली लेकिन, खिल उठते हैं मेल में
मगर देखना क्या होता है,
मेरी चिट्ठी फेर के ?
आना मेरे गाँव तुम्हें मैं
दूंगी फूल कनेर के ।