प्रतीक का अर्थ

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यहाँ पर प्रतीक का अर्थ बताया गया हैं जो आपके विविध परीक्षाओं के दृष्टिकोण से बेहद उपयोगी साबित हो सकती हैं. प्रतीक का अर्थ प्रतीक का शाब्दिक अर्थ है, “चिन्ह। प्रतीक शब्द की उत्पत्ति और अर्थ को स्पष्ट करते हुए, प्रो० क्षेम ने छायावाद के ‘गौरव-चिन्ह’ नामक अपने ग्रन्थ में प्रतीक शब्द की व्याख्या करते … Read more

मनोविश्लेषणवाद

हिन्दी काव्यशास्त्र

मनोविश्लेषणवाद का प्रवर्तक फ्रायड को माना जाता है। फ्रायड ने मानव मस्तिष्क के तीन भाग चेतन, अवचेतन और अर्ध-चेतन किये। उन्होंने काम और व्यक्ति की दमित भावनाओं को सर्वाधिक महत्व दिया। फ्रायड के शिष्य एडलर ने काम की जगह अहम को मुख्य माना जबकी उनके एक अन्य शिष्य युंग ने दोनो को एक साथ रखा। … Read more

प्रतीकवाद

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प्रतीकवाद उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में कविता और अन्य कलाओं में फ्रांसीसी , रूसी और बेल्जियम मूल का कला आंदोलन था , जो मुख्य रूप से प्रकृतिवाद और यथार्थवाद के खिलाफ प्रतिक्रिया के रूप में प्रतीकात्मक छवियों और भाषा के माध्यम से पूर्ण सत्य का प्रतिनिधित्व करने की मांग करता था । आधुनिक काव्य का … Read more

कलावाद

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कलावाद कला के प्रति एक मत या दृष्टिकोण है। इसके तहत कला कला के लिए कहा गया। ‘कला कला के लिए’ फ्रेंच भाषा के सूत्र वाक्य ‘ल आर्त पोर ल आर्त’ के अंग्रेजी अनुवाद ‘द आर्ट इज फॉर द आर्ट्स सेक’ का हिन्दी अनुवाद है। कलावाद के तहत साहित्य में उसके कलापक्ष पर अधिक बल … Read more

अस्तित्ववाद

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अस्तित्ववादी विचार या प्रत्यय की अपेक्षा व्यक्ति के अस्तित्व को अधिक महत्त्व देते हैं। इनके अनुसार सारे विचार या सिद्धांत व्यक्ति की चिंतना के ही परिणाम हैं। पहले चिंतन करने वाला मानव या व्यक्ति अस्तित्व में आया, अतः व्यक्ति अस्तित्व ही प्रमुख है, जबकि विचार या सिद्धांत गौण। उनके विचार से हर व्यक्ति को अपना … Read more

उत्तर आधुनिकतावाद

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धुनिकतावाद 1970 के दशक में एक क्रांतिकारी फ्रिंज आंदोलन के रूप में शुरू हुआ था, लेकिन 1980 के दशक में ‘डिजाइनर दशक’ का प्रमुख रूप बन गया। ज्वलंत रंग, नाटकीयता और अतिशयोक्ति: सब कुछ एक स्टाइल स्टेटमेंट था। आधुनिकतावाद (Uttar adhuniktavad) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ल्योतार ने 1979 में किया। परंतु इसको व्यापक रूप में परिभाषित करने का कार्य … Read more

छंद परिचय

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छंद शब्द ‘चद्’ धातु से बना है जिसका अर्थ है ‘आह्लादित करना’, ‘खुश करना’। यह आह्लाद वर्ण या मात्रा की नियमित संख्या के विन्यास से उत्पन्न होता है। इस प्रकार, छंद की परिभाषा होगी ‘वर्णों या मात्राओं के नियमित संख्या के विन्यास से यदि आह्लाद पैदा हो, तो उसे छंद कहते हैं’। छंद का सर्वप्रथम … Read more

काव्य प्रयोजन

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काव्य रचना का उद्देश्य ही काव्य प्रयोजन होता है. संस्कृत आचार्यों के अनुसार काव्य-प्रयोजन भरत मुनि – धर्म्यं यशस्यं आयुष्यं हितं बुद्धि विवर्धनम्।लोको उपदेश जननम् नाट्यमेतद् भविष्यति।। भरत मुनि धर्म, यश, आयु-साधक, हितकर, बुद्धि-वर्धक और लोक उपदेश। (एक स्थान पर इन्होंने पीङित मनुष्य को विश्रांति करना भी काव्य का एक प्रयोजन माना है।) भामह – … Read more

साहित्य में विविध वाद

साहित्य में विविध वाद उत्तर आधुनिकतावाद अति यथार्थवाद अस्तित्ववाद सरंचनावाद कलावाद प्रतीकवाद मिथक मनोविश्लेषण वाद विखंडनवाद स्वछंदतावाद रुपवाद

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