भारतीय काव्यशास्त्र वस्तुनिष्ठ प्रश्न

भारतीय काव्यशास्त्र वस्तुनिष्ठ प्रश्न

  • वास्तविक काव्यलक्षण का प्रारंभ किस आचार्य से होता है जिन्होंने शब्द और अर्थ के सहभाव (शब्दार्थोसहितौ काव्यम ) को काव्य की संज्ञा दी है – भामह से
  • शब्द अर्थ संगम सहित भरे चमत्कृत भाय। जग अद्भुत में अद्भुतहिँ , सुखदा काव्य बनाए ॥पंक्ति है – ग्वाल कवि (रसिकानंद)
  • प्रतिभा के दो भेद (सहजा और उत्पाद्या ) किसने किये – रुद्रट ने
  • प्रतिभा को काव्य निर्माण का एकमात्र हेतु मानने के कारण किस आचार्य के प्रतिभावादी कहा जाता है – पंडितराज जगन्नाथ को
  • प्रतिभा के दो भेद ‘कारयित्री’ और ‘भावयित्री’ किस आचार्य ने किए हैं – राजशेखर ने
  • भावयित्री प्रतिभा किसमे होती है – सहृदय में
  • भारतीय काव्यशात्र में ‘भावक’ से अभिप्राय है? – सहृदय या आलोचक से
  • “शरीरं तावदिष्टार्थ व्यवच्छिन्ना पदावली” कथन किसका है- दण्डी का
  • रीति सिद्धांत की उपलब्धि है – शैली तत्वों को महत्व देना
  • वामन के अनुसार गुण और रिति का संबंध है – अभेद
  • आचार्य कुंतक के अनुसार वक्रोक्ति के कितने भेद है – 6
  • वक्रोक्ति सिद्धांत की महत्वपूर्ण उपलब्धि है- कलावाद की प्रतिष्ठा
  • कवः कर्म काव्यम् , (कवि का कर्म ही काव्य है ) कथन किसका है – कुन्तक का
  • औचित्य विचार चर्चा , ग्रंथ किस आचार्य का है – क्षेमेंद्र का
  • क्षेमेंद्र के अनुसार औचित्य के प्रधान भेद हैं- 27
  • क्षेमेंद्र ने रस का प्राण किसे माना है – औचित्य को
  • ध्वन्यालोक की टीका ‘ध्वन्यालोकलोचन’ किसने लिखी – अभिनवगुप्त ने
  • ध्वनि सिद्धांत का प्रादुर्भाव व्याकरण के स्पोट सिद्धांत से हुआ है
  • वैयाकरण ने वाक् (वाणी) के कितने प्रकार माने है?- 4 (परा, पश्यंती,   मध्यम,  बैखरी)
  • आनन्दवर्धन का समय है – नवीं शती का मध्य
  • आनन्दवर्धन ने व्यंग्यार्थ के तारतम्य के आधार पर काव्य के कितने भेद किये है- 3 ; ध्वनि, गुणिभूत व्यंग, चित्र
  • आनन्दवर्धन ने ध्वनि के कितने प्रकार माने है- 3 ; वस्तु ध्वनि, अलंकार ध्वनि,रसध्वनि
  • आनंद वर्धन के अनुसार रीति के चार नियामक है – वक्त्रोचित्य , वाच्योचित्य , विषयोचित्य , रसोचित्य
  • अभिनव गुप्त ने ध्वनि के कितने भेद किए हैं – 35
  • मम्मट ने के ध्वनि के शुद्ध भेदों की संख्या स्वीकार की है – 51
  • पंडित राज जगन्नाथ काव्य के कितने भेद किए हैं – 4 (उत्तमोत्तम- उत्तम- मध्यम- अधम)
  • आचार्यो ने व्यंग्यार्थ की प्रधानता गौणता एवं अभाव के आधार पर काव्य के कितने भेद किए हैं – 3 (उत्तम – मध्यम- अधम)
  • आधुनिक काल के प्रारंभिक समय में से सेठ कन्हैयालाल पौद्दार ने काव्यकल्पद्रुम नामक ग्रंथ की रचना की जो आगे चलकर रसमंजरी और अलंकार मंजरी के रुप में प्रकाशित हुआ
  • हृदयदर्पण नामक ग्रंथ की रचना किसने की – भट्टनायक ने
  • हिंदी वक्रोक्ति जीवित की भूमिका किसने लिखी – नगेंद्र ने
  • रस निरुपण के प्रथम व्याख्याता और रस निरुपण का प्रथम ग्रंथ किसे माना जाता है – भरत मुनि व उनके नाट्यशास्त्र को
  • भरत ने 8 स्थाई भाव , 8 सात्विक भाव, 33 संचारी भावों का उल्लेख किया है
  • किस आचार्य ने रीती को काव्य की आत्मा मान कर रस के गुण के अंतर्गत स्थान दिया है और कांति गुण का वर्णन करते हुए रस से युक्त माना है – वामन
  • आचार्य रुद्रट ने शांत रस का स्थाई भाव किसे माना है – समयक ज्ञान
  • रस को ध्वनि के साथ युक्त करने का श्रेय किसे है – आनंद वर्धन को
  • भोज ने 12 रसों का विवेचन किया है जिनमें चार नवीन है – (प्रेयस- शांत- उदात्त- उध्दात)
  • भोज ने रस का मूल किसे माना है- अहंकार को
  • वाक्य रसात्मक काव्यम् कथन किसका है – विश्वनाथ का
  • आचार्य शुक्ल ने काव्य की आत्मा किसे माना है- रस को
  • भट्टलोल्लक ने रस की अवस्थिति किसमें मानी है- अनुकार्य में
  • किस आचार्य ने रस सूत्र की व्याख्या के संधर्भ में काव्य में तीन शक्तियों की कल्पना की (अभिधा, भावक्त्व, भोजकत्व) -भट्टनायक ने
  • अभिनव गुप्त रस को मानते हैं – व्यंग
  • किस आलोचक के मतानुसार साधारणीकरण कवि की अनुभूति का होता है – नगेंद्र के अनुसार
  • भारतीय काव्यशास्त्र में भावक से अभिप्राय है – सहृदय या आलोचक से
  • भावक(सहदय्) के कितने प्रकार माने गए है – 4 (अरोचकी [विवेकी], सतृणाभ्यव्हारि [अविवेकी], मत्सरी [पक्षपात पूर्ण आलोचना करने वाला], तत्त्वाभिनिवेशी )
  • विभाव के कितने भेद हैं – 2[आलम्बन और उद्दीपन ]
  • आलंबन विभाव के कितने भेद हैं – 2 ; (आलंबन , आश्रय)
  • सात्विक अनुभाव की संख्या कितनी मानी गई है – आठ
  • आचार्य शुक्ल ने विरोध और अविरोध के आधार पर संचारियों के कितने वर्ग किये हैं – चार ; (सुखात्मक , दु:खात्मक   उभयात्मक  उदासीन)
  • श्रृंगार को मूल रस किस आचार्य ने माना है- भामह ने
  • भक्ति रस का रस को मूल रास किसने माना है- मधुसूदन सरस्वती एव रूप गोस्वामी ने
  • शंकुक के अनुसार भरतमुनि के रस सूत्र में आये “संयोग ” शब्द का अर्थ है – अनुमान
  • रस सिद्धांत के संबंध में तन्मयतावाद के प्रतिष्ठापक है- अभिनव भरत
  • एक के बाद एनी अनेक भावों का उदय होता है तो उसे कहते है – भाव सबलता
  • अवहित्था और अपस्मार क्या है ?- संचारी भाव का एक प्रकार
  • किस आलोचक के मतानुसार साधारणीकरण कवि भावना का होता है – नगेंद्र
  • अभिधा, भावकत्व और भोग काव्य के तीन व्यापार किस आचार्य ने माने हैं – भट्टनायक ने
  • भाव-सन्धि, भाव सबलता तथा भाव-शांति किस भाव की प्रमुख स्थितियां है – संचारी भाव की
  • अलंकार संप्रदाय के प्रतिष्ठापक आचार्य है – भामह
  • भरत मुनि ने कितने अलंकारों का उल्लेख किया है ? – 4 (उपमा , रूपक   दीपक  यमक)
  • अलंकार रत्नाकर नामक ग्रंथ के रचयिता है – शोभाकर मित्र
  • दण्डी ने गुणों की संख्या कितनी मानी है – 10
  • आचार्य भोज ने अनुसार गुणों की संख्या है – 24
  • वामन ने गुणों की संख्या मानी है – 20
  • मम्मट, भामह तथा आनंद वर्धन ने गुणों के भेद माने है – 3
  • गुणों के प्रमुख भेद है – 3 (माधुर्य, (औज,   प्रसाद)
  • वृत्ति का सर्वप्रथम वर्णन किस ग्रंथ में मिलता है- नाट्यशास्त्र में
  • भारतीय काव्यशास्त्र में कितनी काव्य वृत्तियां मानी ग मानी गई है – 3 (परुषा, कोमल  उपनागरी)
  • सर्वप्रथम दोष की परिभाषा किस आचार्य ने प्रस्तुत की- वामन ने
  • दंडी में कितने काव्य दोषों का वर्णन किया है – 10
  • वामन ने कितने काव्य दोषों का वर्णन किया है – 20
  • विश्वनाथ ने कितने दोषों का वर्णन किया है – 70
  • काव्य दोषो का सर्वप्रथम निरुपण किस ग्रंथ में मिलता है – भारत कृत नाट्य शास्त्र में
  • दस के स्थान पर तीन काव्य गुणों की स्वीकृति प्रथम किस आचार्य ने की- भामह ने
  • प्रेयान नामक नवीन रस की उद्भावना किस आचार्य ने की।- रुद्रट
  • आलोक का हिंदी भाष्य किसने लिखा- आचार्य विश्वेश्वर ने
  • भावप्रकाश नामक ग्रंथ के रचयिता है- शारदातनय
  • दण्डी ने कितने काव्य हेतु माने है – 3 (नैसर्गिकी प्रतिभा, निर्मल शास्त्र ज्ञान  अमंद अभियोग [अभ्यास])
  • रुद्रट और कुंतक ने कितने काव्य हेतु माने है – 3 (शक्ति, २•व्युत्तपत्ति,   अभ्यास)
  • वामन ने कितने काव्य हेतु माने है – 3 (लोक, , विद्या ,   प्रकीर्ण
  • व्यंग्य के तारत्मय के आधार पर काव्य के कितने भेद माने जाते है – 3 (ध्वनि, गुणीभूत व्यंगचित्र, चित्र)
  • काव्यरुप(इंद्रियगम्यता) के आधार पर काव्य के कितने भेद है – 2 (दृश्य काव्य, श्रव्यकाव्य)
  • दृश्यकाव्य[ रूपक] के कितने प्रमुख भेद है – 10
  • श्रव्यकाव्य के कितने भेद हैं – 3 १•गद्य, •२ पद्य ,३ चंपू [ गद्य-पद्यमय काव्य]
  • लक्षणा के कुल कितने भेद माने जाते हैं – 12
  • किस लक्षणा को अभिधा पुच्छभूता कहते है- रूढ़ि लक्षणा को
  • किस आचार्य ने लक्षणा के 80 भेदों का उल्लेख किया है – विश्वनाथ ने
  • मम्मट ने लक्षणा के कितने भेदों का उल्लेख किया है – 12
  • किस काव्य को चित्रकाव्य कहा जाता है – अधम काव्य को
  • बंध के आधार पर काव्य के कितने भेद हैं – 2 ( प्रबंध ,  मुक्त्तक)
  • पूर्वापर सम्बन्ध निरपेक्ष काव्य -रचना को कहते हैं- मुक्त्तक
  • पूर्वापर सम्बन्ध निर्वाह -सापेक्ष रचना को कहते है – प्रबंध
  • संस्कृत में साहित्य के लिए किस शब्द का प्रयोग होता है – वाङ्मय
  • तात्पर्य, क्या है – अभिधा, लक्षणा, व्यंजना की तरह चौथे प्रकार की नई शब्द-शक्ति
  • भामह ‘अभाववादी’ कहलाते है क्योंकि – उन्होंने काव्य में ध्वनि की सत्ता स्वीकार नहीं की है
  • प्रतिभा मात्र को ही काव्य का हेतु आवश्यक सर्वप्रथम किसने माना – हेमचंद्र ने
  • गुणिभूत व्यंग के कितने भेद होते हैं – 8
  • वाच्यता असह,का अन्य नाम है – रस ध्वनि
  • भरत ने हास्य रस के कितने भेद माने हैं – 6
  • कुंतक ने वक्रोति के भेद व उपभेद माने है – 6 भेद व 41 उपभेद
  • हेतुर्न तु हेतव:’ पंक्ति है- मम्मट की
  • जनश्रुति के आधार पर किस आचार्य कोरस के प्रवर्तक होने का श्रेय दिया जाता है – नंदिकेश्वर को
  • भरत के नाट्यशास्त्र में भावों की संख्या 49 गिनाई है – ( स्थाई भाव- 8, व्याभिचारी भाव- 33  सात्विक भाव- 88+33+8- 49 )
  • आचार्य भामह ने काव्य हेतु किसे माना है – प्रतिभा को
  • किस आचार्य का कथन है कि संसार में जो कुछ पवित्र उज्जवल एव दर्शनीय है ,वह श्रृंगार के भीतर समाविष्ट हो सकता – भरत मुनि
  • श्रृंगार रस को रसराज माना जाता है – कार्य -व्यापार की व्यापकता के कारण
  • भरत मुनि के रस सूत्र के प्रथम व्याख्याता भटलोल्लट के रस- विवेचन का सैद्धांतिक आधार है – मीमांसा
  • रस को दो वर्गो (सुखकारक व दुःख कारक )में बाँटकार किन आचार्य ने करुण ,भयानक,वीभत्स और रौद्र को दुःखकारक तथा शेष को सुख का कारक माना – रामचंद्र एव गुणचन्द्र ने
  • नवरस नामक ग्रंथ के लेखक हे – बाबू गुलामराय
  • ‘रस कलश’ नामक ग्रंथ के लिए के लेखक है- अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध
  • सर्वप्रथम किस आचार्य ने रस को काव्य आत्मा घोषित किया- विश्वनाथ
  • रुद्रट तथा कुंतक ने काव्य-हेतुओं की संख्या मानी है- 3 (शक्ति, २•व्युत्पत्ति ” अभ्यास
  • राज शेखर ने रस का प्रतिष्ठाता किसे माना है – नंदीकेश्वर को
  • भरत मुनि ने कितने रस, कितने गुण, कितने दोष तथा कितने अलंकारों का उल्लेख किया है – रस- 8, गुण- 10, दोष- 20, अलंकार- 4
  • शब्दार्थो सहित काव्यम् , काव्य काव्य की इस परिभाषा में दोष है- अतिव्याप्ति
  • प्रेयान नामक नवीन रस की उद्भावना किस आचार्य ने की।- रुद्रट
  • आलोक का हिंदी भाष्य किसने लिखा- आचार्य विश्वेश्वर ने
  • भावप्रकाश नामक ग्रंथ के रचयिता है- शारदातनय
  • दण्डी ने कितने काव्य हेतु माने है – 3 (प्रबंध,, मुक्त्तक
  • पूर्वापर सम्बन्ध निरपेक्ष काव्य -रचना को कहते हैं- मुक्त्तक
  • पूर्वापर सम्बन्ध निर्वाह -सापेक्ष रचना को कहते है – प्रबंध
  • संस्कृत में साहित्य के लिए किस शब्द का प्रयोग होता है – वाङ्मय
  • ‘तात्पर्य’ क्या है – अभिधा, लक्षणा, व्यंजना की तरह चौथे प्रकार की नई शब्द-शक्ति
  • भामह ‘अभाववादी’ कहलाते है क्योंकि – उन्होंने काव्य में ध्वनि की सत्ता स्वीकार नहीं की है
  • प्रतिभा मात्र को ही काव्य का हेतु आवश्यक सर्वप्रथम किसने माना – हेमचंद्र ने
  • गुणिभूत व्यंग के कितने भेद होते हैं – 8
  • वाच्यता असह, का अन्य नाम है – रस ध्वनि
  • भरत ने हास्य रस के कितने भेद माने हैं – 6
  • कुंतक ने वक्रोति के भेद व उपभेद माने है – 6 भेद , व 41 उपभेद
  • ‘हेतुर्न तु हेतव:’ पंक्ति है- मम्मट की
  • जनश्रुति के आधार पर किस आचार्य कोरस के प्रवर्तक होने का श्रेय दिया जाता है – नंदिकेश्वर को
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