भारतेंदु युग के नाटक
भारतेंदु युग के नाटक

- प्राणचंद चौहान-रामायण महानाटक।
- महाराज विश्वनाथ सिंह-आनंद रघुनंदन
- गोपालचंद्र गिरिधर दास-नहुष
- भारतेंदु हरिश्चंद्र-विद्यासुंदर, रत्नावली, पाखण्ड विडंबन, धनंजय विजय, कर्पूर मंजरी, भारत-जननी, मुद्राराक्षस, दुर्लभ बंधु (उपर्युक्त सभी अनूदित); वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति, सत्य हरिश्चंद्र, श्रीचन्द्रावली, विषस्य विषमौषधम, भारत-दुर्दशा, नीलदेवी, अँधेरे नगरी, सती प्रताप, प्रेम योगिनी (मौलिक)
- शिवनंदन सहाय– कृष्ण-सुदामा नाटक
- लाला श्रीनिवासदास-संयोगिता स्वयंवर, प्रहाद-चरित्र, रणधीर प्रेममोहिनी, तप्त संवरण
- राधाचरण गोस्वामी– अमरसिंह राठौर, बूढ़े मुँह मुँहासे (प्रहसन)
- किशोरीलाल गोस्वामी- मयंक मंजरी, प्रणयिनी-परिणय
- प्रताप नारायण मिश्र– भारत-दुर्दशा, कलिकौतुक रूपक, संगीत शाकुंतल, हठी हम्मीर
- बालकृष्ण भट्ट- कलिराज की सभा, रेल का विकट खेल, दमयंती स्वयंवर, जैसा काम वैसा परिणाम (प्रहसन), नई रोशनी का विष, वेणुसंहार
- शीतला प्रसाद त्रिपाठी- जानकीमंगल
- राधाकृष्ण दास- महाराणा प्रताप, दुःखिनी बाला, पद्यावती, धर्मालाप
- देवकीनंदन त्रिपाठी– भारत-हरण
- अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’– प्रद्युम्न विजय व्यायोग, रुक्मिणी परिणय