भारतेंदु हरिश्चंद्र की काव्य-भाषा और शिल्प

भारतेंदु हरिश्चंद्र की काव्य-भाषा और शिल्प की विशेषताएँ जान सकेंगे. हिंदी खड़ी बोली किस प्रकार भारतेंदु युग में काव्य भाषा पर दबाब डाल रही थी, इसे भी आपपहचान सकेंगे, भारतेंदु हरिश्चंद्र की काव्य-भाषा और शिल्प भारतेंदु हरिश्वंद्र ने

कृष्णाश्रयी शाखा/कृष्ण भक्ति काव्य

जिन भक्त कवियों ने विष्णु के अवतार के रूप में कृष्ण की उपासना को अपना लक्ष्य बनाया वे 'कृष्णाश्रयी शाखा' के कवि कहलाए। कृष्णाश्रयी शाखा/कृष्ण भक्ति काव्य:- कृष्ण भक्ति काव्य के प्रतिनिधि कवि सूरदास हैं मध्य युग में कृष्ण भक्ति का

भक्तिकाल के कवि

भक्तिकाल के कवि प्रबंधात्मक काव्यकृतियाँ : पद्यावत, रामचरितमानस मुक्तक काव्य कृतियाँ : गीतावली, कवितावली, कबीर के पद भक्तिकालीन रचना और रचनाकार कविप्रिया, रसिक प्रिया , वीर सिंह, देव चरित(प्र०), विज्ञान गीता, रतनबावनी,

हिंदी वर्तनी का मानकीकरण

हिंदी वर्तनी का मानकीकरण एक ही स्वन को प्रकट करने के लिए विविध वर्णों का प्रयोग वर्तनी को जटिल बना देता है और यह लिपि का एक सामान्य दोष माना जाता है। यद्यपि देवनागरी लिपि में यह दोष न्यूनतम है. फिर भी उसकी कुछ अपनी विशिष्ट कठिनाइयाँ भी

सूफी काव्य और उनके रचनाकार

 सूफी कवियों ने लौकिक प्रेम कहानियों के माध्यम से अलौकिक प्रेम की अभिव्यंजना की है। इन की यह प्रेम कहानियाँ प्रबन्ध काव्य की कोटि में आती है। इन कवियों का उद्देश कोरी प्रेम कहानी न होकर प्रेमतत्व का निरुपण करना तथा उसका महत्व निर्धारित

अष्टछाप के कवि

आठों ब्रजभूमि के निवासी थे और श्रीनाथजी के समक्ष गान रचकर गाया करते थे। उनके गीतों के संग्रह को "अष्टछाप" कहा जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ आठ मुद्रायें है। उन्होने ब्रजभाषा में श्रीकृष्ण विषयक भक्तिरसपूर्ण कविताएँ रचीं। उनके बाद सभी कृष्ण

संत काव्य

ज्ञानाश्रयी शाखा/संत काव्य:- संत काव्य के प्रतिनिधि कवि कबीर है 'संत काव्य' का सामान्य अर्थ है संतों के द्वारा रचा गया काव्य। लेकिन जब हिन्दी में 'संत काव्य' कहा जाता है तो उसका अर्थ होता है निर्गुणोपासक ज्ञानमार्गी कवियों के

राम भक्ति काव्य धारा

हिन्दी साहित्य का भक्तिकाल राम भक्ति काव्य धारारामाश्रयी शाखा/राम भक्ति काव्य:-राम भक्ति काव्य की विशेषताएँ :राम भक्ति काव्य और उनके रचनाकार रामाश्रयी शाखा/राम भक्ति काव्य:- राम भक्ति काव्य के प्रतिनिधि कवि तुलसी दास हैं।

संत काव्य / निर्गुण काव्य की विशेषताएँ

संत काव्य /निर्गुण काव्य की विशेषताएँ- संत काव्य / निर्गुण काव्य की विशेषताएँ संत काव्य /निर्गुण काव्य की विशेषताएँ-धार्मिक क्षेत्र में :सामाजिक क्षेत्र में:शिल्पगत क्षेत्र में: संत काव्य / निर्गुण काव्य की विशेषताएँ धार्मिक

भक्तिकाल की प्रसिद्ध पंक्तियाँ

भक्तिकाल की प्रसिद्ध पंक्तियाँतुलसीदास की पंक्तियाँकबीरदास की पंक्तियाँमलिक मुहम्मद जायसी  की पंक्तियाँसूरदास की पंक्तियाँरहीमदास की पंक्तियाँमीराबाई की पंक्तियाँरैदास की पंक्तियाँरसखान की पंक्तियाँउसमान की पंक्तियाँदादू की पंक्तियाँअन्य