भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का साहित्यिक परिचय

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का साहित्यिक परिचय: आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह भारतेन्दु हरिश्चन्द्र हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। इनका मूल नाम 'हरिश्चन्द्र' था, 'भारतेन्दु' उनकी उपाधि थी। रीतिकाल की विकृत

राधाचरण गोस्वामी का साहित्यिक परिचय

राधाचरण गोस्वामी का साहित्यिक परिचय राधाचरण गोस्वामी का जन्म 25 फ़रवरी, 1859 को हुआ था। उनके पिता गल्लू जी महाराज अर्थात् गुणमंजरी दास जी (1827- 1890 ई.) एक भक्त कवि थे। 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में बनारस, इलाहाबाद, पटना,

भट्टकेदार मधुकर कवि का साहित्यिक परिचय

भट्टकेदार मधुकर कवि (संवत् 1224-1243)- जिस प्रकार चंदबरदाई ने महाराज पृथ्वीराज को कीर्तिमान किया है उसी प्रकार भट्टकेदार ने कन्नौज के सम्राट जयचंद का गुण गाया है। रासो में चंद और भट्टकेदार के संवाद का एक स्थान पर उल्लेख भी है। भट्टकेदार

जगनिक का साहित्यिक परिचय

जगनिक का साहित्यिक परिचय (संवत् 1230) ऐसा प्रसिद्ध है कि कालिंजर के राजा परमार के यहाँ जगनिक नाम के एक भाट थे, जिन्होंने महोबे के दो प्रसिद्ध वीरों-आल्हा और ऊदल (उदयसिंह)–के वीरचरित का विस्तृत वर्णन एक वीरगीतात्मक काव्य के रूप में लिखा

रघुवीर सहाय -अपने समय के आर-पार देखता कवि

रघुवीर सहाय -अपने समय के आर-पार देखता कवि रघुवीर सहाय नयी कविता के महत्वपूर्ण कवियों में से एक हैं। इनकी कविताएं एक्सरे की तरह आने वाले समय का पूर्वाभास कर यथार्थ को बेबाकी से हमारे सामने प्रस्तुत कर देती हैं। इस पोस्ट के अध्ययन के बाद

हिंदी व्याकरण की परिभाषा,कार्य व विशेषताएं

हिंदी व्याकरण की परिभाषा,कार्य व विशेषताएं :भाषा की संरचना के ये नियम सीमित होते हैं और भाषा की अभिव्यक्तियाँ असीमित। एक-एक नियम असंख्य अभिव्यक्तियों को नियंत्रित करता है। भाषा के इन नियमों को एक साथ जिस शास्त्र के अंतर्गत अध्ययन किया जाता

कबीरदास जी का साहित्यिक परिचय

कबीरदास का जन्म कैसे हुआ ? कबीर की उत्पत्ति के संबंध में अनेक प्रकार के प्रवाद प्रचलित हैं। कहते हैं, काशी में स्वामी रामानंद का एक भक्त ब्राह्मण था, जिसकी किसी विधवा कन्या को स्वामीजी ने पुत्रवती होने का आशीर्वाद भूल से दे दिया। फल यह

काव्य लक्षण की विशेषताएँ

प्रस्तुत पोस्ट को पढ़ने के बाद आप : बता सकेंगे कि काव्य की परिभाषा कैसी होनी चाहिए; संस्कृत आचार्यों के काव्य लक्षण संबंधी मतों का उल्लेख कर सकेंगे; हिंदी रचनाकारों और आलोचकों द्वारा दी गई काव्य की परिमाषाओं के विषय में बता

शब्द शक्ति से तात्पर्य

भारतीय काव्यशास्त्र में शब्द-शक्तियों के विवेचन की एक सुदीर्घ और सुचिंतित परंपरा रही है। आचार्यों ने शब्द और अर्थ-चिंतन की परंपरा में दार्शनिकों के चिंतन के साथ-साथ व्याकरण के आचार्य चिंतन को प्रसंगानुसार ग्रहण किया है। hindi vyakaran