निबंध के प्रकार

परिभाषा – निबन्ध वह रचना है जिसमें किसी गहन विषय पर विस्तार और पाण्डित्यपूर्ण विचार किया जाता है। वास्तव में, निबन्ध शब्द का अर्थ है-बन्धन। यह बन्धन विविध विचारों का होता है, जो एक-दूसरे से गुँथे होते हैं और किसी विषय की व्याख्या करते हैं।

Hindi Sahity

निबंध के प्रकार

विषय के अनुसार प्रायः सभी निबंध 3 प्रकार के होते हैं :

(1) वर्णनात्मक
(2) विवरणात्मक
(3) विचारात्मक

(1) वर्णनात्मक- किसी सजीव या निर्जीव पदार्थ का वर्णन वर्णनात्मक निबंध कहलाता है।

स्थान, दृश्य, परिस्थिति, व्यक्ति, वस्तु आदि को आधार बनाकर लिखे जाते हैं। वर्णनात्मक निबंध के लिए अपने विषय को निम्नलिखित विभागों में बाँटना चाहिए-

1. यदि विषय कोई ‘प्राणी’ हो
(a) श्रेणी (b) प्राप्तिस्थान (c) आकार-प्रकार (d) स्वभाव
(e) उपकार (f) विचित्रता एवं उपसंहार

2. यदि विषय कोई ‘मनुष्य’ हो
(a) परिचय (b) प्राचीन इतिहास (c) वंश-परंपरा (d) भाषा और धर्म
(e) सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन

3. यदि विषय कोई ‘उद्भिद्’ हो
(a) परिचय एवं श्रेणी (b) स्वाभाविक जन्मस्थान (c) प्राप्तिस्थान (d) उपज (e) पौधे का स्वभाव
(f) तैयार करना (g) व्यवहार और लाभ (h) उपसंहार

4. यदि विषय कोई ‘स्थान’ हो
(a) अवस्थिति (b) नामकरण (c) इतिहास (d) जलवायु (e) शिल्प (f) व्यापार
(g) जाति-धर्म (h) दर्शनीय स्थान (i) उपसंहार (उत्थान और पतन, शासन)

5. यदि विषय कोई ‘वस्तु’ हो
(a) उत्पत्ति (b) प्राकृतिक या कृत्रिम (c) प्राप्तिस्थान (d) किस अवस्था में पाई जाती है
(e) कृत्रिमता का इतिहास (f) उपसंहार

6. यदि विषय ‘पहाड़’ हो
(a) परिचय (b) पौधे, जीव, वन आदि (c) गुफाएँ, नदियाँ, झीलें आदि
(d) देश, नगर, तीर्थ आदि (e) उपकरण एवं शोभा (f) वहाँ बसनेवाले मानव और उनका जीवन

(2) विवरणात्मक- किसी ऐतिहासिक, पौराणिक या आकस्मिक घटना का वर्णन विवरणात्मक निबंध कहलाता है।

यात्रा, घटना, मैच, मेला, ऋतु, संस्मरण आदि का विवरण लिखा जाता है। विवरणात्मक निबंध लिखने के लिए दिए गए विषय को निम्नलिखित विभागों में बाँटना चाहिए-

1. यदि विषय ‘ऐतिहासिक’ हो
(a) घटना का समय एवं स्थान (b) ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
(c) कारण, वर्णन एवं फलाफल (d) इष्ट-अनिष्ट की समालोचना एवं आपका मंतव्य

2. यदि विषय ‘जीवन-चरित्र’ हो
(a) परिचय, जन्म, वंश, माता-पिता, बचपन (b) विद्या, कार्यकाल, यश, पेशा आदि (c) देश के लिए योगदान
(d) गुण-दोष (e) मृत्यु, उपसंहार (f) भावी पीढ़ी के लिए उनका आदर्श

3. यदि विषय ‘भ्रमण-वृत्तांत’ हो
(a) परिचय, उद्देश्य, समय, आरंभ (b) यात्रा का विवरण (c) हानि-लाभ
(d) सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, व्यापारिक एवं कला-संस्कृति का विवरण (e) समालोचना एवं उपसंहार

4. यदि विषय ‘आकस्मिक घटना’ हो
(a) परिचय (b) तारीख स्थान एवं कारण (c) विवरण एवं अन्त
(d) फलाफल (e) समालोचना (व्यक्ति एवं समाज आदि पर कैसा प्रभाव ?)

(3) विचारात्मक- किसी गुण, दोष, धर्म या फलाफल का वर्णन विचारात्मक निबंध कहलाता है।

इस निबंध में किसी देखी या सुनी हुई बात का वर्णन नहीं होता; इसमें केवल कल्पना और चिंतनशक्ति से काम लिया जाता है। इस तरह के निबंध-लेखन के लिए छात्रों को आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, श्यामसुन्दर दास, श्रीहरि दामोदर आदि प्रबुद्ध लेखकों की रचनाएँ पढ़नी चाहिए।

विचारात्मक निबंध लिखने के लिए दिए गए विषय को निम्नलखित विभागों में बाँटना चाहिए-
(a) अर्थ, परिभाषा, भूमिका और परिचय
(b) सार्वजनिक या सामाजिक, स्वाभाविक या अभ्यासलभ्य कारण
(c) संचय, तुलना, गुण एवं दोष (d) हानि-लाभ
(e) दृष्टांत, प्रमाण आदि (f) उपसंहार

निबन्ध, प्रबन्ध और लेख

कुछ लोग निबन्ध, प्रबन्ध और लेख- इन तीनों में कोई अन्तर नहीं मानते। मेरे विचारानुसार निबन्ध, प्रबन्ध और लेख में स्पष्ट अन्तर हैं।
”प्रबन्ध में व्यक्तित्व उभरकर नहीं आता। लेखक परोक्ष रूप में रहकर अपनी ज्ञानचातुरी, दृष्टिसूक्ष्मता, प्रकाशन-पद्धति और भाषाशैली उपस्थित करता हैं। प्रबन्ध आकार में निबन्ध से दस-बीसगुना बड़ा भी हो सकता हैं। उसमें निबन्ध की अपेक्षा विद्वत्ता अधिक रहती हैं। निबन्ध में निजी अनुभूति और विचार का प्राधान्य रहता हैं और प्रबन्ध में समाजशास्त्र, लोकसंग्रह और पुस्तकीय ज्ञान का।”
मराठी के प्रसिद्ध लेखक ह्री० गो० देशपाण्डे के शब्दों में, ”प्रबन्ध में लेखक पाठकों को उपदेशरूपी कड़वी कुनैन की गोली चबाने का आदेश देता हैं।

किन्तु, ‘निबन्ध’ में लेखक उन्हें शुगरकोटेड कुनैन की गोली निगलने को कहता हैं और पाठक हँसते-हँसते वैसा करते हैं। प्रबन्धकार अपने बारे में कुछ नहीं कहता, किन्तु निबन्धकार अपनी पसन्दगी-नापसन्दगी, आचार-विचार के सम्बन्ध में खुलकर पाठकों से विचारविमर्श करता हैं। प्रबन्ध की भाषा और शैली प्रौढ़, गम्भीर और नपी-तुली होती हैं, किन्तु निबन्ध की लेखनशैली रमणीक और स्वच्छ्न्द होती हैं। प्रसादगुण निबन्ध की आत्मा हैं। भावगीतों की तरह निबन्ध भी सुगम और सरस होता हैं। प्रबन्ध के विषय गम्भीर और ज्ञानपूर्ण होते हैं, किन्तु निबन्ध का विषय कोई प्रसंग, भावना या कोई क्षुद्र वस्तु या स्थल बनता हैं; क्योंकि यहाँ विषय की अपेक्षा विषयी (निबन्धकार) अधिक महत्त्वपूर्ण होती हैं।

‘निबन्ध’ और ‘प्रबन्ध’ की तरह ‘निबन्ध’ और ‘लेख’ में भी अन्तर हैं।
‘लेख’को अँगरेजी में ‘Article’ कहते है और पत्र, समाचारपत्र, विश्र्वकोश इत्यादि में पायी जानेवाली वह रचना, जो विषय का स्पष्ट और स्वतंत्र निरूपण करती हैं, ‘लेख’ कहलाती हैं। प्रबन्ध की तरह लेख भी विषयगत होता हैं। इसमें ‘लेखक’ की आत्माभिव्यक्ति का आभाव नहीं रहता, पर उसकी प्रधानता भी नहीं रहती, जबकि आत्माभिव्यक्ति निबन्ध का लक्ष्य हैं। अतः निबन्ध और लेख दोनों दो भित्र साहित्यक विधाएँ हैं।

You might also like

Comments are closed.