पुष्टि मार्ग में बल्लभाचार्य ने कवियों (सूरदास, कुंभनदास, परमानंद दास व कृष्णदास) को दीक्षित किया। उनके मरणोपरांत उनके पुत्र विटठलनाथ आचार्य की गद्दी पर बैठे और उन्होंने भी 4 कवियों (छीतस्वामी, गोविंदस्वामी, चतुर्भुजदास व नंददास) को दीक्षित किया। विटठलनाथ ने इन दीक्षित कवियों को मिलाकर ‘अष्टछाप’ की स्थापना 1565 ई० में की। सूरदास इनमें सर्वप्रमुख हैं और उन्हें ‘अष्टछाप का जहाज’ कहा जाता है।

अष्टछाप के कवि
बल्लभाचार्य के शिष्य
(1) सूरदास (2) कुंभन दास (3) परमानंद दास (4) कृष्ण दास
बिट्ठलनाथ के शिष्य
(5) छीत स्वामी (6) गोविंद स्वामी (7) चतुर्भुज दास (8) नंद दास